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सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए
सोच और बलिष्ठ शरीर-जरा बताइये कि उसका क्या परिणाम होगा? या तो किसी के दांत टूंटेंगे या किसी की हड्डी-पसलियाँ गोल होंगी। अच्छी सोच, कमजोर शरीर तब भी असंतुलन ही कहलाएगा। जीवन के लिए सदाबहार मंत्र है: अच्छी सोच, अच्छा शरीर, स्वस्थ सोच, स्वस्थ शरीर। ‘सादा जीवन उच्च विचार', सफल जीवन का पहला आध्यात्मिक मंत्र है।
गांधीजी ने कभी कहा था, 'बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो'। सम्पूर्ण विश्व में प्रतीक रूप में गांधी जी के तीन बंदर ये संदेश पहुँचाते हैं। मैं भी इन तीन बंदरों को प्रतीकात्मक रूप में धर्म और अध्यात्म के संदेश के लिए स्थापित करना चाहता हूँ। लेकिन इन तीन बंदरों के साथ एक बंदर और जोड़ना चाहूँगा। इसे इन तीनों से पहले भी रखूगा जिसकी एक अँगुली दिमाग पर हो। बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो लेकिन उससे भी पहले बुरा मत सोचो। अगर तुम बुरा नहीं सोचोगे तो बुरा नहीं बोल पाओगे। जब बुरा सोचने वाला उपस्थित है तो तुम रस ले-लेकर बुरा सुनोगे। आज तुम्हारे अंदर भगवान का 'वासा' नहीं है। भगवान उस दिन तुम्हारे भीतर आएँगे जिस दिन तुम अपने भीतर बैठे हुए बुरा सोचने वाले शैतान को बाहर निकाल दोगे। तब तुम कह सकोगे, ‘घट-घट में भगवान है।'... अभी तो शैतान ही विराजित
जब सोच विपरीत होती है तो परिणाम भी उल्टे आयेंगे। मस्तिष्क में जैसा डालोगे, यह वापस वही देगा। कम्प्यूटर का एक चर्चित सिद्धान्त है ‘गी गो'। कम्प्यूटर चलाने वाले 'गी गो' का अर्थ जानते हैं कि जैसा कम्प्यूटर में ‘फीड' करेंगे, कम्प्यूटर वैसा ही रिजल्ट देगा। Good in good out, wrong in wrong out. अगर सही चीज भीतर डालोगे तो सही परिणाम आएगा और बुरी चीज अंदर डालोगे तो परिणाम भी गलत ही आएगा। आपको लगता है कि आपके जीवन में आपकी सोच-विचार-शैली-शब्द गलत परिणाम दे रहे हैं तो मैं कहूँगा कि 'गी गो' का सिद्धान्त हर व्यक्ति अपने जीवन से जोड़े। अगर आप चाहते हैं कि परिणाम अच्छा निकले तो अच्छी चीजें ही ग्रहण करें। अच्छे परिणामों के लिए अच्छे बीज बोइए।
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