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________________ सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए 'जीवन में अर्जित होने वाला अनुभव' वह तीसरा तत्त्व है जो मनुष्य की सोच को प्रभावित करता है। जीवन में लगने वाली ठोकरें ही आदमी को जगाती हैं। शायद मृत्यु भी आदमी को नहीं जगा पाती, लेकिन अनुभवों से आदमी सीखता है। इन्हीं से वह जीवन में कुछ बदलता है। लेकिन बार-बार ठोकर खाने पर भी जो नहीं सीखता या नहीं बदलता, वह मूर्ख की श्रेणी में आता है। मूर्ख ही बार-बार गलती को दोहराता है। एक बार गिरकर न सँभले, बार-बार गिरता रहे, यही मनुष्य की नासमझी है। बार-बार के दोहराव से आपकी नासमझी और जीवन के प्रति अजागरूकता नजर आने लगती है। अनुभव आदमी की सोच और विचारधाराओं पर प्रभाव डालता है। हम अनुभवी का सम्मान करते हैं। बाल सफेद हो जाना ही परिपक्वता की निशानी नहीं है। व्यक्ति की सोच, उसकी विचारधारा उसकी शिक्षा और अनुभवों से प्रभावित होती है। हम सही सोच, सही सोहबत और सही अनुभवों का उपयोग करते हुए अपनी सोच को सार्थक दिशा प्रदान कर सकते हैं। ___ मनुष्य जैसा सोचेगा, वैसा ही उसके जीवन में घटित होगा। विचार के अनुसार ही व्यक्तित्व निर्मित होगा। विचार व्यक्तित्व की नींव है और व्यक्तित्व विचारों का ही विस्तार है। कोई भी चीज पहले बीज के रूप में आरोपित होती है, फिर वही बीज बढ़ते-बढ़ते बबूल या कैक्टस का रूप धारण कर लेती है। आदमी जैसा सोचता है, वैसा ही मुँह से अभिव्यक्त होता है, जैसा अभिव्यक्त होता है वैसी ही उसकी गतिविधियाँ होती हैं जैसी गतिविधियाँ होती हैं, वैसा ही चरित्र बनता है, जैसा चरित्र होता है, वैसी ही आदतें बना करती हैं। अगर आदतों और चरित्र को सुधारना है तो व्यक्ति अपनी सोच और विचारधारा को सुधार डाले। ___ हम बाहर दीप सजाएँ यह अच्छी बात है, पर रास्ते में दीप सजे हों और घर के भीतर अंधेरा हो तो बाहर के दीप हास्यास्पद ही हैं। एकमात्र सोच को सुधार कर ही वाणी, व्यवहार, आदत और चरित्र इत्यादि को सुधारा जा सकता है। इसलिए कि जो आज सोच है, जो आज विचार है, वही हमारे स्वप्न बनेंगे। उन्हीं से लक्ष्य बनता है और उन्हीं से पुरुषार्थ प्रेरित और प्रभावित होता है। बुरी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003875
Book TitleSakaratmak Sochie Safalta Paie
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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