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________________ फिर से उग कर संदेश देता है- आओ, हम फिर से प्रयत्न करें। उत्साह और पुरुषार्थ की प्रबल मनोदशा के साथ जीवन को सार्थक आयाम प्रदान करें। जिन लोगों के नज़रिए में जीवन का मूल्य है, वे लोग ही जीवन का उपयोग कर सकते हैं। जो लोग केवल मौत को ही महत्व देते रहते हैं, वे केवल संसार से अनासक्ति की बात भर करते रहेंगे, पर संसार में आकर अपने जीवन में विकास और खिलावट के मापदंडों को कतई नहीं छू पाएंगे। जो महानुभाव जीवन को मूल्य देंगे, वे जीवन को परिणाम भी देना चाहेंगे। जो व्यक्ति मृत्यु के बारे में ही चिंतन करता रहेगा, वह अपने जीवन को जीते जी ही मौत में ढाल बैठेगा। हम लोगों को याद होगा, जहां धर्म स्थानों पर लटके हुए चित्र यह संदेश देते हैं कि एक आदमी लटका हुआ है किसी पेड़ की डाली पर। डाली को चूहा काट रहा है। हाथी अपनी ताकत लगा कर पेड़ को उखाड़ना चाहता है। जहां आदमी लटका हुआ है, उसके नीचे कुआं है। उस कुएं के भीतर सांप, अजगर मौत का मुंह खोले खड़े हैं। पेड़ की डाल पर मधुमक्खियों के शहद का छत्ता है और आदमी उस छत्ते से टपकने वाली एक-एक बूंद का आनंद लेना चाहता है। नकारात्मक सोच के लोग आदमी को यह प्रेरणा देना चाहेंगे कि मौत तुम्हारे सामने खड़ी है और एक तू है, जो शहद की बूंद को पाने के लिए लालायित है। अरे! अपनी मुक्ति का इंतजाम कर। सकारात्मक सोच का व्यक्ति यह सलाह देगा कि मौत तो निश्चित तौर पर आएगी, लेकिन तुम जिंदगी के अंतिम क्षण तक भी जीवन से अगर एक बूंद शहद भी मिल सकती हो, तो जरूर ले लेना। मौत तो केवल हमारी जिंदगी को मटियामेट करके चली जाएगी। जिंदगी में मृत्यु का मूल्य केवल एक क्षण जितना होता है, पर जिंदगी में जिंदगी का मूल्य जिंदगी जितना होता है। मौत क्षणभंगुर होती है, जीवन क्षणभंगुर नहीं होता। मौत पल में आती है और पल में खत्म करके चली जाती है, लेकिन जिंदगी को वर्षों-वर्ष जीना होता है। जिंदगी से कुछ हासिल करना होता है, फिर चाहे हम अस्सी वर्ष के बूढ़े भी क्यों न हो चुके हों। 98 For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003874
Book TitleLakshya Banaye Safalta Paye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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