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शक्ति जगाएं आत्मविश्वास की आदमी न तो निंदा के भय से घबराए, न ही अपयश के भय से, न ही इहलोक के भय से और न ही परलोक के भय से। जो चलेगा, वही गिरेगा। जो चलने से ही कतराएगा, मात्र अड़ियल टटू बना रहेगा। तुम साहस बटोरो और कर्तव्य-पथ की ओर निःशंक होकर बढ़ चलो। भय से आदमी मुक्त रहे, इसके लिए पहला सूत्र होगा, आदमी सदा आत्मविश्वास से भरा हुआ रहे। आदमी यह ठान ले कि दुनिया में सर्वश्रेष्ठ प्राणी मैं स्वयं हूं, मेरा मस्तिष्क, मेरा हृदय, मेरा शरीर अपने आप में परमात्मा की सबसे बड़ी सौगात है। आदमी को सदा आत्मविश्वास से भरा हुआ रहना चाहिए।
भला हम किस बात से भयभीत हैं? होनी को टाला नहीं जा सकता और अनहोनी से तू क्यों घबराता है? नेपोलियन बोनापार्ट जब पर्वतों को लांघ रहा था, तो एक बुढ़िया ने कहा था, 'नेपोलियन, तुम वापस चले जाओ, क्योंकि इस पर्वत को कोई नहीं लांघ पाया है। पर्वत के बाद फिर उफनती नदी है। उसे भी न लांघा जा सकेगा। यह संभव ही नहीं है।' तब नेपोलियन ने कहा था, 'मां, नेपोलियन के लिए असंभव जैसा कोई भी शब्द नहीं है। ऐसा कौन-सा कठिन काम है, जिसे इनसान करना चाहे और पूरा न कर सके?' बुढ़िया ने कहा, 'जिस आदमी के पास इतना परम आत्मविश्वास है कि दुनिया में असंभव जैसा कोई शब्द नहीं, जा तू जीतेगा, यह आल्पस तो क्या, कोई भी ऐसा पर्वत नहीं है, जिसको आत्मविश्वास से न हटाया जा सके।
हातिमताई इतना अधिक मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास का स्वामी बन गया था कि उस जैसे लोगों के सामने से तो पहाड़ खुद ही हट जाया करते थे। संभव है, भौतिक शक्ति भले ही सीमित हो, पर जिसके पास मन की शक्ति है, संकल्प-शक्ति है, मनोबल है, प्रकृति उसके प्रभाव को सौ गुना बढ़ा देती है।
आत्मविश्वास जाग्रत हो, आदमी सत्यनिष्ठ बने, अपने ईमान पर अडिग रहे । जो झूठा होता है, वह डरता है। जो आदमी सत्यनिष्ठ
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