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से मुदित हो उठा। मुझे एक नया बोध मिल गया कि अगर कृष्ण किसी की निन्यानवे पलतियों को माफ़ कर सकते हैं, तो हम किसी की नौ गलतियों को तो माफ़ कर ही सकते हैं। जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में संकल्प ले लिया, वह बोध पा लिया कि मैं किसी की नौ गलतियों को ज़रूर माफ़ करूंगा, तो वह न कभी क्रोध की ज्वालाओं में झुलसेगा, न कभी प्रतिक्रियाओं में उलझेगा। वह अपने जीवन में चित्त की शांति का स्वामी बना रहेगा, सदा शांत और सौम्य बना रहेगा।
कमी न देखें दूसरों की अगर आप चाहते हैं कि प्रतिक्रियाओं से बचे रहें, तो सदा इस बात का बोध रखें कि आप अपनी ओर से कभी किसी की कमी न निकालें, न ही किसी की कमी का उसे बोध कराएं। दुनिया में कोई विरला ही होगा, जो अपनी कमियों और पलतियों के बारे में जानना चाहता हो। अगर आपने किसी की पलतियां निकालनी शुरू की, तो बदले में वह आपकी ऐसी-ऐसी पलतियां निकालना शुरू करेगा कि आपके लिए उन्हें पचाना कठिन होगा। ध्यान रखें कि कोई भी व्यक्ति अपने आप में पूर्ण नहीं होता, कमियां हर किसी में होती हैं। अगर कमियों की तरफ़ ध्यान दोगे, तो तुम किसी व्यक्ति का उपयोग नहीं कर पाओगे। अगर गुणों की तरफ़ ध्यान दोगे, तो तुम गए-गुज़रे आदमी में भी गुण खोज ही निकालोगे, उनका भी उपयोग कर ही लोगे।
कुदरत हर इनसान में कुछ खास कमियां, तो कुछ ख़ास गुण देकर भेजती है। गुण इसलिए कि उस गुण के बलबूते पर आदमी अपना जीवन जी सके और कमियां इसलिए कि व्यक्ति अपने पुरुषार्थ द्वारा उन कमियों को जीत सके। अपनी कमियों को हमें जीतना होता है और अपनी ख़ासियत को हमें जीना होता है।
कभी भी किसी की निंदा और आलोचना न करें। अपने मुंह से किसी भी तरह का कोई शब्द निकले, तो पहले सोचें कि मैं कहूं या न कहूं। कहने के बाद केवल पछतावे के अलावा कुछ नहीं होता। वाणी का उपयोग इस तरह करो कि तुम्हारी वाणी औरों को दिया जाने वाला फूलों का गुलदस्ता बन जाए। जन्मदिन तो कभी-कभी
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