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________________ भी पिता का अनुसरण किया और अपना कोट उतारकर बीरबल के कंधे पर रख दिया । अकबर को मज़ाक सूझा। उसने कहा, 'क्यों भाई बीरबल, एक गधे जितना भार तो हो ही गया होगा ।' बीरबल ने कहा, 'माफ़ करें हुजूर, एक का नहीं, दो का कहिए ।' यह प्रतिक्रिया है । जगत वही लौटाता है, जो तुम उसे सौंपते हो । अगर किसी को गधा कहा, तो मानकर चलो कि वह भी तुम्हें गधे से बढ़कर नाम देगा । गणित में तो शायद एक और एक दो होते हैं, लेकिन गालियों का गणित कुछ और ही है, जहां एक और एक ग्यारह होते हैं, वे पल-भर में एक ग्यारह भी हो सकते हैं । इसलिए मेरे प्रिय आत्मन जीवन में अपनी ओर से सदा वे ही बीज बोएं, जिन्हें काटते वक्त हमें खेद, कटुता और वितृष्णा का आभास न हो । सहानुभूति हो, सहिष्णुता भी हमारे प्रति कौन कैसा व्यवहार करता है, इस बात को कभी मूल्य मत दो। मूल्य सदा इस बात को दिया जाना चाहिए कि हम अपनी ओर से औरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं? कौन हमें गालियां निकालता है, मतलब इसका नहीं है, वरन मतलब इस बात का है कि हम अपनी ओर से गालियां निकालते हैं या गीत गुनगुनाते हैं । महत्त्व हमारा अपना है । कुछ लोगों को देखकर आश्चर्य होता है कि अमुक व्यक्ति उनके सामने आया, उसने सामने वाले की खूब निंदा की, खूब बदनामी की, मगर वह उसके साथ उसी प्रेम, उसी सम्मान - भावना से पेश आ रहा है। यही तो उस व्यक्ति की सहिष्णुता है, इसी में उसकी सामयिक भावना है कि जब कोई कैसा भी व्यवहार करे, तो व्यक्ति सहनशील बना रहे, प्रतिक्रियाओं के द्वंद्व से मुक्त रहे । घर क्यों टूटते हैं? एक मां-बाप का खून आखिर क्यों बंट जाता है ? एक ही धर्म के अनुयायियों के बीच दरारें क्यों हैं? इन समस्याओं प्रतिक्रिया है । तुम्हारे भीतर मधुरता और सहनशीलता नहीं है, जिसके कारण समाज आपस में टूट जाता है, लोग आपस में बंट जाते हैं । कोई अगर पूछे कि घर और परिवार का पुण्य क्या है, तो मैं कहूंगा कि एक मां-बाप के अगर पांच संतानें हैं और वे सभी एक Jain Education International 54 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003874
Book TitleLakshya Banaye Safalta Paye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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