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________________ दुर्व्यवहार करे, गाली-गलौज करे, तब भी आपका फ़र्ज़ बनता है कि आप शांत-संयत रहें, प्रतिक्रिया व्यक्त न करें। कुलीन और संस्कारित व्यक्ति को निम्नस्तरीय व्यवहार शोभा नहीं देता। आदमी जब उठता है, बैठता है, तो उसकी कुलीनता झलकनी चाहिए। कुलीनता का अर्थ यह नहीं है कि तुम किस सलीके से बोलते हो, किस सलीके से बैठते हो, किस सलीके से भोजन करते हो? आपके खाना खाने का तरीका बता देता है कि आपका स्तर क्या है? हम अपने व्यवहार के प्रति सजग रहें, जागरूक रहें। हमारी जागरूकता हमें व्यर्थ की प्रतिक्रियाओं में उलझने से बचाएगी। संतान ही नहीं, संस्कार भी एक पिता अगर घर में बैठकर गाली-गलौज करता है, शराब और तंबाकू का सेवन करता है, तो मानकर चलें कि उसका बेटा भी ऐसा ही सीखेगा। एक पिता वह होता है, जो संतान को जन्म-भर देता है। एक पिता वह होता है, जो अपनी संतति को संपत्ति देता है और एक पिता वह होता है, जो अपनी संतति को संस्कार देता है। अगर तुम झूठ बोलोगे, तो मानकर चलो कि वही संस्कार तुम्हारी संतान में आएंगे और तुम्हारा बेटा भी झूठ ही बोलेगा। स्वयं का चरित्र सम्यक, उज्ज्वल रखकर हम अपनी आगे की पीढ़ियों में सम्यक संस्कारों का संचार कर सकते हैं। ___हम अपने जीवन को बड़ी सहजता, मधुरता और प्रसन्नता से जिएं, इतनी सहजता के साथ कि जीवन हमारे लिए ईश्वर का वरदान बन जाए। केवल क्रिया-प्रतिक्रिया के दौर से गुज़रते रहें, तो ध्यान रखो, जगत की व्यवस्थाएं कुछ इतनी विचित्र हैं कि यहां क्रिया की प्रतिक्रिया कभी भी उतनी नहीं होती, जितनी तुमने क्रिया की है, बल्कि उससे कई गुना अधिक लौटकर आती है, जैसे चार बीज बोओ, तो चालीस फल उग आते हैं, ऐसी ही गालियों की खेती है, जहां चार गालियों के बदले चालीस गालियां ही सुनने को मिलती हैं। आपने वह प्रसंग सुना ही होगा कि सम्राट अकबर किसी जंगल से गुज़र रहे थे। गर्मी की तपिश के कारण अपना कोट उतारकर बीरबल के कंधे पर रख दिया। अकबर के पुत्र को भी गर्मी लग रही थी, उसने 53 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003874
Book TitleLakshya Banaye Safalta Paye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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