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________________ मन के बोझ उतारें जीवन मनुष्य के लिए एक बेशकीमती सौग़ात है। जीवन के सामने दुनिया भर की संपदाएं तुच्छ और नगण्य हैं। व्यक्ति भले ही परम पिता परमेश्वर की आराधना कर उनसे कोई वरदान पाना चाहे, लेकिन यह वरदान तो उसे जीवन के रूप में पहले से ही हासिल है। जीवन अपने आप में ही वरदान है। जीवन से बढ़कर कोई उपहार या पुरस्कार भला क्या होगा? जो व्यक्ति अपने आपको दीन-हीन मान बैठा है, वह प्रकृति की एक महान् सौगात को नज़रअंदाज़ कर रहा है। दीन-हीन क्यों हो मनुष्य? उसे तो इतना अमूल्य जीवन मिला हुआ है कि उसका दर्जा किसी भी अति साधन-संपन्न व्यक्ति से कम नहीं हो सकता। वह ज़रा अपने एक-एक अंग की कीमत आंके। उसकी आंखें, उसका दिल, उसके गुर्दे, क्या लाखों-करोड़ों देकर भी इन्हें पाया जा सकता है? व्यक्ति अपना नजरिया बदले और जीवन की महत्ता, मूल्यवत्ता और गरिमा को समझे। सृजनात्मक हो जीवन का स्वरूप व्यक्ति के सम्मुख जीवन जीने के दो तरीके हैं : पहला व्यक्ति सृजन करे और दूसरा, उसकी ऊर्जा विध्वंस में चली जाए। ऊर्जा के दो ही उपयोग हो सकते हैं : बनाना या मिटाना। जो व्यक्ति अपनी ओर से समाज में नई रचनाएं सृजित नहीं कर सकता, वह बनी हुई रचना को बिगाड़ने की कोशिश जरूर करेगा। अगर हिटलर को जीवन को सकारात्मक रूप देने का मार्ग मिल चुका होता, तो हिटलर हिटलर न होता। वह पच्चीस सौ साल बाद फिर महावीर या बुद्ध होता। 22 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003874
Book TitleLakshya Banaye Safalta Paye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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