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तुम केवल सिंचन को मूल्य दो। फल देना प्रकृति का काम है। तुम प्रकृति की व्यवस्थाओं में भी कुछ तो निष्ठा रखो। अधीर लोग ही निराश होते हैं और निराशा पुरुषार्थ की दुश्मन है। लक्ष्य, योजना, निरंतर प्रयास- ये तीन सूत्र हैं सफलता के लिए और साथ में चाहिए दो विशेष संबल। वे हैं धैर्य और आत्मविश्वास। ये पांच मंत्र हैं जिसके हाथ में, सफलता है उसके साथ में। __ आप यदि अपने आपको असफल देख रहे हैं, तो यह तय है कि हमने अभी तक अपनी सफलता के लिए पच्चीस फीसदी ताक़त ही लगाई है। शत-प्रतिशत शक्ति लगा दें, तो सफलता आपके हाथ में होगी। अब तक जो सफल हुए, वे समग्रता से सन्नद्ध हो जाने के कारण ही हुए। जो चीज़ औरों के साथ हो सकती है, वही हमारे साथ भी क्यों नहीं हो सकती।
भगवान कहते हैं, जागो मेरे पार्थ! तुम्हारे कर्तव्य तुम्हें आमंत्रित कर रहे हैं। तुम क़दम उठाकर तो देखो, आकाश की ओर छलांग लगाकर तो देखो, चांद तुम्हारी हथेली में होगा। शिखरों पर तुम्हारे पद-चिह्न होंगे, आने वाली पीढ़ी के लिए, फिर से किसी को प्रेरणा देने के लिए, ऊंचाइयों को पाने के लिए।
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