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________________ बैठे-बैठे ही इतने तबीयत से मुस्कराइए कि आपका तन-मन उत्साह की बरखा से भीग उठे, आपकी रोमराजि खिल उठे। उत्साह-भाव से किया गया हर काम आदमी के लिए सुख का सेतु बन जाता है और निराश मन से किया गया काम कारागार की बेड़ी हो जाया करता है। अपनी जेब में हमेशा ऐसा सिक्का रखिए, जिसके दोनों तरफ खुशी ही खुशी हो। सिक्का चित्त पड़े तो भी खुश और पट पड़े तो भी खुश ही। चित्त की प्रसन्नता और उमंगता कम नहीं होनी चाहिए। उतार-चढ़ाव भला किसके जीवन में नहीं आते, पर सफल वे ही लोग होते हैं, जो हर परिस्थिति में गुलाब के फूल की तरह अपने आपको खिला हुआ रखते हैं। दिन में भी जब-तब अपने आप में उत्साह-भाव का संचार करते रहिए। चाहे सुबह हो या सांझ, सूरज उगे या ढले, पर उत्साह, उमंग और हमारी ऊर्जा बरकरार रहे। ज़रा प्यार से मुस्कराइए। हां, ऐसे ही। केवल अभी ही नहीं, हमेशा। जिंदगी में सदा मुस्कराते रहो, फासले कम करो, दिल मिलाते चलो। दर्द कैसा भी हो, आंखें नम न करो, रात काली सही, कोई गम न करो। इक सितारा बनो, जगमगाते रहो, फासले कम करो, दिल मिलाते चलो ॥ बांटना है, अगर बांट लो हर खुशी, गम न ज़ाहिर करो तुम किसी से कभी। दिल की गहराई में गम छिपाते रहो, फासले कम करो, दिल मिलाते चलो ॥ अश्क अनमोल है, खो न देना कहीं. इसकी हर बूंद है मोतियों की कड़ी। इसको हर आंख से तुम चुराते रहो, फासले कम करो, दिल मिलाते चलो ॥ फासले कम करो, दिल मिलाते चलो, फासले कम करो, दिल मिलाते चलो ॥ 112 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003874
Book TitleLakshya Banaye Safalta Paye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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