________________
हेलन केलर को पढ़ता हूं, तो हृदय इस बात से अभिभूत हो जाता है कि एक गूंगी, बहरी और अंधी, यद्यपि इस शब्द-प्रयोग के लिए मैं क्षमा चाहता हूं, क्या जीवन की इतनी पारदर्शी गहराइयों तक उतर सकती है!
जीवन का क्षेत्र अत्यंत जब चलोगे, तब लड़खड़ाओगे भी, | गिरोगे भी, ठोकरें भी लगेंगी,
विस्तीर्ण है और कार्य करने को | फिसलोगे भी, पर जो आदमी
अनंत । यदि हम किसी भी वस्तु
की प्राप्ति की आकांक्षा अपने लड़खड़ाने और फिसलने से डर
संपूर्ण मन से करें और उसे प्राप्त गया, वह कहीं नहीं पहुंच पाएगा।
करने के लिए निरंतर प्रयास -स्वयं से साक्षात्कार
और संघर्ष करते रहें, तो प्रकृति हमें सफलता वैसे ही दे देती है, जैसे सूरज से चली किरण और बादल से बरसी बूंद हम तक पहुंच ही जाती है।
जो लोग अपने जीवन में एक लक्ष्य बनाकर जिंदगी के रास्तों से गुज़रते हैं, वे अपनी मंजिलों को हासिल कर ही लेते हैं। जो लोग लक्ष्यहीन जीवन जीते हैं, वे संसार की इस पाठशाला में पढ़ने के लिए फिर भेज दिए जाते हैं। आख़िर जो यहां नहीं चला, वह और कहीं चल पाएगा। ऐसा कम ही संभव है। जो जिंदगी के रास्ते से गुज़रकर जीवन से मुक्त हो जाते हैं, वे सिद्धि और सफलता को प्राप्त कर लेते हैं। जो लोग जीवन के रास्तों से गुज़रकर भी जिंदगी के पाठों को पढ़ नहीं पाते, वे संसार की पाठशाला में फिर-फिर लौटा दिए जाते हैं, किसी बैरंग लिफ़ाफ़े की तरह। मनुष्य के पुनर्जन्म की यही कहानी है।
लक्ष्य बसाएं आंखों में जिस आदमी को जिंदगी में अपना लक्ष्य नज़र आता है, वह व्यक्ति अपने जीवन की अंतिम सांस तक का उपयोग कर लेता है। जिस आदमी के जीवन का कोई लक्ष्य नहीं होता, वह आदमी न तो जी रहा है और न ही मर रहा है। उस आदमी की स्थिति बिल्कुल ऐसी ही हो जाती है, जैसे किसी आदमी को तरल ऑक्सीजन में गिरा दिया जाए। तरलता आदमी को जीने नहीं देती और ऑक्सीजन आदमी
10
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org