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आत्मविश्वास को ही बना लें। आत्मविश्वास की सीढ़ी से ही सफलता की मंजिल पाई जा सकती है। यह आत्मविश्वास की ही शक्ति है कि जिसकी बदौलत कभी कोलंबस भारत की खोज के लिए निकला था। यह आत्मविश्वास का ही परिणाम है कि कभी पियरे ने उत्तरी ध्रुव की खोज की थी। यह आत्मविश्वास का ही परिणाम है कि मात्र सोलह वर्ष की उम्र में शिवाजी ने अपनी जिंदगी का पहला किला फतह कर लिया था। आत्मविश्वास की बदौलत ही कभी नेपोलियन जैसे लोग सारे विश्व पर विजय प्राप्त करने के लिए तत्पर हो गए।
आप शायद नहीं जानते कि अमेरिका का जो सबसे मशहूर शहर है वाशिंगटन, वह किस व्यक्ति के नाम से जुड़ा है? वाशिंगटन अमेरिका का वह सेनापति है, जिसने मात्र उन्नीस वर्ष की आयु में सेनापति का पद ले लिया था और जब इक्कीस साल की उम्र में उस व्यक्ति की मौत हुई थी, तब तक वह विश्व के आधे हिस्से पर विजय प्राप्त कर चुका था। यह आत्मविश्वास की ताकत है कि जिसके चलते व्यक्ति किसी भी बड़ी-से-बड़ी सेना का मुकाबला करने को तत्पर हो जाता है। हां, अगर कोई व्यक्ति विकलांग भी है, अगर किसी व्यक्ति का हाथ कट चुका है, अगर किसी व्यक्ति के पांव पंगु हैं, तब भी चिंता न करें, क्योंकि विकलांग लोगों को अपना विकास करने का अधिकार है। अगर कभी जिंदगी में आंख खो जाए, तब भी चिंता न करें। आंख खो जाए तो चलेगा, पर अपना विश्वास, अपना भरोसा, अपने आपसे कभी भी नहीं खोना चाहिए।
रवीन्द्र जैन से कौन आदमी परिचित न होगा। लेकिन नेत्रहीन होने के बावजूद इस व्यक्ति ने संगीत के क्षेत्र में वे मील के पत्थर स्थापित किए हैं कि आज सारा विश्व इस व्यक्ति से प्रेरित है। जन्म से जो व्यक्ति गूंगा, बहरा और अंधा रहा हो, क्या हम कल्पना कर सकते हैं कि वह व्यक्ति सारे संसार का एक आदर्श विचारक कहलाएगा। हां, उस गूंगी, बहरी और अंधी महिला का नाम था हेलन केलर, जिसे जब-तब मैं भी पढ़ लेता हूं। जिस चन्द्रप्रभ को दुनिया पढ़ती होगी, लेकिन वह इस भावदशा के साथ उस महिला को पढ़ लेना पसंद करता है कि अहो! जिस व्यक्ति ने अपनी इन बाहरी आंखों से दुनिया को न देखा, इन बाहरी कानों से दुनिया को न सुना, इस
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