________________
गुलाब को महत्व देते रहो, पर प्रकृति के लिए तो कांटों का भी महत्व . है। अगर कांटे न होते, तो फूल की रक्षा कौन करता? कांटे तो फूल के लिए आत्मरक्षा कवच का काम करते हैं।
प्रकृति ने हमें जन्म दिया है, निश्चय ही पृथ्वी के लिए हमारी आवश्यकता है। जैसे ही आपको अपनी आवश्यकता समझ में आएगी, आप अपने जीवन और व्यक्तित्व को बेहतर और सफल बनाने के लिए संकल्पशील हो जाओगे। जीवन की यह समझ आपके विचार और मन दोनों को प्रेरित-प्रभावित-आंदोलित करेगी।
जैसे मनष्य के विचार होते हैं, वैसा ही मनुष्य का व्यक्तित्व होता है। कमजोर विचार के आदमी कमजोर व्यक्तित्व के मालिक होते हैं
और मजबूत विचारों के लोग सुदृढ़ व्यक्तित्व के महल खड़े कर लिया करते हैं। अच्छे विचारों का स्वामी होना किसी भी धार्मिक होने से ज्यादा श्रेष्ठ होता है और एक बेहतर व्यक्तित्व का निर्माण कर लेना जीवन की सबसे बेहतरीन कमाई हुआ करती है। आदमी के जैसे विचार
और जैसा मन होगा, आदमी का जीवन भी वैसा ही बनता चला जाएगा। हममें से हर किसी को चाहिए कि हम अपनी मानसिक शक्ति को पहचानें, अपनी विचार-शक्ति का उपयोग करें। जीवन के प्रति सकारात्मक नज़रिया अपनाएं। आखिर जैसा हमारा नज़रिया होगा, नज़ारा भी वैसा ही होगा।
आज की समस्या समाज में समाई हुई नहीं है, वरन् मनुष्य के मन में पलने वाली निराशा, चिंता और उत्साहहीनता में है। अपनी निष्क्रियता में व्यक्ति की समस्याएं छिपी हुई हैं। कोई व्यक्ति अगर तनावग्रस्त है, अगर नाकामयाब है, अगर हीनता की ग्रंथि से ग्रस्त है, तो मैं कहना चाहूंगा कि वह अपने मन को ठीक तरीके से समझा न पाया। लोग यह कहेंगे कि तुम मन को स्थिर करो अथवा तुम कहोगे कि मेरा मन स्थिर नहीं होता। मैं कहूंगा कि इसलिए नहीं होता, क्योंकि तुम न तो मन को समझ पाए हो और न ही मन को ढंग से समझा पाए हो। __ पुरानी कहावत है- मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। वह व्यक्ति परास्त नहीं हुआ है, जो हार चुका है। वह व्यक्ति ही
100 For Personal & Private Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org