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जब भी किसी से मिलो, सहजता, सरलता और सहृदयता से मिलो। बड़ा वह नहीं जो सम्पन्न है या बड़ी-बड़ी बातें करता है, बड़ा वह होता है जो जीवन में, व्यवहार में बड़प्पन दिखाता है। औरों से ऐसे मिलो कि हमारा किसी से मिलना यादगार बन जाए। हमारे व्यवहार में इतनी विनम्रता और शालीनता तो होनी ही चाहिए कि दूसरों के द्वारा खुद को मान दिये जाने पर हम भी उसके मान का सम्मान कर सकें।
सम्मान देकर सम्मान लें
याद रखें, जीवन में मान पाने के लिए नहीं, देने के लिए होता है । इसे औरों को देकर खुश होइये। जीवन में सम्मान पाने की कोशिश न करें। जो व्यक्ति
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सम्मान पाने की ख्वाहिश रखता है, वही अपमानित होता है। जिसके भीतर सम्मान पाने की आकांक्षा नहीं है वह कभी अपमानित नहीं हो सकता। आप कितने भी महान क्यों न हों, लेकिन छोटे-से-छोटे व्यक्ति का भी मान करना सीखें। अगर आप किसी मीटिंग में बैठे हैं और एक अदना सा व्यक्ति जो न तो सम्पन्न है, न किसी संस्था या संगठन का अध्यक्ष या मंत्री है, लेकिन वह विलम्ब से पहुँचा है तो आपका कर्त्तव्य है कि आप खड़े होकर उसका सम्मान करें। ऐसा करके आप स्वयं सम्मानित होंगे। जो भी आपके द्वार पर आए उसे सम्मान दें, फिर चाहे वह आपका शत्रु ही क्यों न हो ।
फ्रांस के सम्राट हेनरी अपने सभासदों के साथ राजमार्ग से जा रहे थे । उन्होंने देखा एक भिखारी सड़क पर खड़ा है। राजा को देखकर वह सड़क पर खड़ा हो गया। राजा के निकट आने पर उसने अपनी टोपी उतारी और राजा को प्रणाम किया। सम्राट ने जब यह देखा तो वे अधिकारियों के साथ पांच सैकण्ड के लिए वहीं खड़े हो गए और उन्होंने भी अपनी टोपी उतारी और भिखारी को प्रणाम किया। अधिकारियों में फुसफुसाहट हुई कि यह क्या, हमारे सम्राट भिखारी को भी प्रणाम करते हैं ? सम्राट ने सुना तो कहा 'मैं यह उदाहरण नहीं छोड़ना चाहता कि हेनरी भिखारी से निम्न स्तर का है कि भिखारी उसे प्रणाम करे, उसका सम्मान करे तो क्या हेनरी किसी भिखारी को सम्मान देना नहीं जानता ?' इसलिए याद रखें कि भले ही आप सत्तासीन हों, सम्पन्न हों, ऊँचे पद
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