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________________ हूँ।नसीब भी तब सुधर जाता है जब आप खुद सुधर जाते हैं। ___मेरे पास एक महानुभाव आये और कहने लगे, 'अगर आपका दिमाग़ मुझे मिल जाता तो मैं एक बेहतर इन्सान बन जाता।' मैंने कहा, 'इस बात को छोड़ो, तुम एक बेहतर इंसान बन जाओ मेरा दिमाग़ तुम्हें अपने आप मिल जाएगा।' मेरा दिमाग़ देना तो मेरे हाथ में नहीं है लेकिन अगर आप बेहतर इंसान बन गए तो स्वयं का दिमाग विकसित करने में स्वयं समर्थ हो जाओगे। बाहर-भीतर बनें अभेद हम देखें कि हमारा व्यवहार कैसा है। एक बार आत्मावलोकन कर लें कि हमारा व्यवहार, हमारा विचार, हमारी सोच, हमारा अंतरंग जीवन इनमें कहीं भेद-रेखा तो नहीं है? एक बार देख लें कि हमारी हँसी के भीतर कोई कुटिलता तो नहीं है। हमारी मुस्कान में कहीं कृत्रिमता तो नहीं है। हम जो दूसरों से गले मिलने की योजना बना रहे हैं इसमें कोई धूर्तता तो नहीं है। हमारी मित्रता में कोई शठता की सोच तो नहीं है। एक बार जरूर अपने में झाँक लें क्योंकि आदमी बाहर से अपने आपको जितना अच्छा दिखाता है, जरूरी है कि वह भीतर से उससे दोगुना अच्छा हो । दुनिया का एक मशहूर टॉवर है ‘कैलगेरी', उसकी ऊँचाई एक सौ नब्बे मीटर और वजन है दस हजार आठ सौ टन । वह टॉवर पृथ्वी सतह पर जितना ऊँचा है उसका चालीस प्रतिशत बाहर और साठ प्रतिशत जमीन के अंदर है। बाहर के हिस्से में चार हजार टन लोहा और ज़मीन के भीतरी हिस्से में छह हजार टन से अधिक लोहा लगा है। किसी भी टॉवर की मज़बूती के लिए ज़रूरी है कि वह जितना बाहर दिखता है उससे अधिक भीतर हो और आदमी के श्रेष्ठ व्यवहार के लिए ज़रूरी है कि जितना उसका अच्छा व्यवहार बाहर हो उतना ही अच्छा मन भीतर भी हो। न बनें काग़ज के फूल खोखली जड़ों को लेकर अगर कोई पेड़ अपने आपको शोभायुक्त समझता है तो यह शोभा शीघ्र ही समाप्त हो जाने वाली है। व्यक्ति जैसा अपने 81 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003873
Book TitleKya Swad Hai Zindagi ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2011
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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