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समझेंगे कि शराब पी रहे हो। जिन लोगों के बीच, जिनके साथ तुम जी रहे हो । तुम वैसे ही बनोगे, लोगों का दृष्टिकोण भी तुम्हारे प्रति वैसा ही बनता जाएगा । संकट: मित्रता की कसौटी
तुलसीदास जी ने कहा था ' धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी, आपतकाल परखिए चारी ।' हरेक व्यक्ति को लगता है कि उसमें बहुत धैर्य है, वह धर्मात्मा भी है, उसकी पत्नी सन्नारी है और मित्र का सहयोग भी अच्छा है, लेकिन इन चारों की परख किसी विपत्ति, आपदा या संकट के समय ही होती है ।
विपरीत वातावरण में भी जब तुम अपने धीरज को बरकरार रख सको, तभी तुम धैर्यवान कहला
सकोगे। यूं तो हर कोई धार्मिक है लेकिन जब भी मन को प्रलोभन, वासना का निमित्त, स्वार्थ की पूर्ति का साधन मिलता है तो वह विचलित हो जाता है। इन विपरीत वेलाओं में भी जो अपने धर्म को स्थिर रखने में सफल होता है वही वास्तविक धार्मिक है। यूं तो हर व्यक्ति को अपनी पत्नी अच्छी लगती है लेकिन जब जीवन में राम की तरह चौदह वर्ष वनवास जाने का मौका आ जाए, उस समय अगर वह तुम्हारे साथ जिए तो समझना अच्छी पत्नी है। जब तुम सुखी थे तो अनेक मित्र तुम्हारे इर्द-गिर्द मंडराया करते थे और आज जब विपत्ति की वेला आ गई है और तुम अपने दोस्त को मोबाइल भी कर रहे हो पर वह तुम्हारा नंबर देखकर स्विच बंद कर रहा है। वह जानता है कि तुम उसे फोन क्यों कर रहे हो !
मुख मीठा सज्जन घणा मिल जा मित्र अनेक, काम पड्यां कायम रहे सो लाखन में एक ।
कभी जीवन में ऐसा वक्त आ जाए कि तुम्हारा कोई भी न बचा तो ऐसे में जो तुम्हारे काम आ जाए वही वास्तविक मित्र है। मित्र हो पानी में मछली की तरह कि मछली पानी के बिना रह भी न पाये । सरोवर में पंछी की तरह मित्र न हों, कि थोड़ी देर साथ रहे और उड़ जाए । मित्रता तो मोमबत्ती और धागे की तरह हो- जैसे धागा जलता है तो मित्रता निभाने के लिए, मोमबत्ती का मोम
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