________________
वैसा करता तो, उस समय मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था।' वह आदमी चला गया आप उसके बारे में अब सोच-विचार कर रहे हैं। टांग दें अतीत-भविष्य को खूटियों पर । ___ 'रात गई तो बात गई'- जो इस भाव में जीता है उसके पास भला तनाव कहाँ से आएगा? रात की बात को सुबह लाना और सुबह की बात को रात तक खींचकर ले जाना ही तो चिंता का बसेरा बसाना है। अगर आप जी सकें तो वर्तमान में जीने की कोशिश कीजिये। जो जैसा मिला है उसे जिया जाए। जैसे आप अपने घर में खूटियों पर कपड़े लटकाते हैं वैसे ही उन खूटियों पर अतीत की यादें लटका दें, भविष्य की कल्पनाओं को लटका दें और आप वर्तमान में जिएं। जो वर्तमान में जीता है जैसी व्यवस्था मिलती है उसे स्वीकार कर लेता है, वह चिंतामुक्त है। कोटरी का भी स्वागत करो और कोठी का भी स्वागत करो। वर्तमान में जीते हुए प्रकृति के सान्निध्य में रहने की कोशिश करें। प्रकति जो कर दे वही ठीक है। चिंता करने से जीवन के संयोग नहीं बदलते। चिंताओं से समस्या का समाधान भी नहीं निकला करता। ___ अच्छा होगा चिंता करने की बजाय चिंतन करें, निर्णय लें तदनुसार कार्य करें, परिणाम जो आये उसका स्वागत करें। एक अन्य काम और करें कि जीवन में घटी दुघर्टना को अधिक तवज्जो न दें। उठा-पटक हर किसी की जिंदगी में होती है तभी तो आदमी को 'समझ' आती है। लेकिन जो बात तनाव दे जाए उसे अहमियत न दें। अगर कुछ विपरीत हो जाये तो उसे सहजता से लें। जिसके जैसे होंठ रहे उसने वैसी बात कही। किसी ने गीत गाये तो ठीक, गालियाँ दी तो भी ठीक।
चिंता से बचने का एक अन्य उपाय है, निरर्थक बातों में वहम न पालें। अगर आपकी पत्नी फोन पर किसी पुरुष से बात कर रही है तो शक न करें। पत्नी को तो पता नहीं आप वहम कर रहे हैं, लेकिन वहम करके आप अपने को अंदर से खोखला ज़रूर कर रहे हैं । बार-बार वहम करके आप मानसिक तौर पर दुःखी हो जाते हैं। एक-दूसरे पर विश्वास रखें ।
38
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org