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________________ 'लीजिए इसकी बलि दीजिए।' राजा ने बहुत समझाया पर वह भीड़ कहाँ मानने को तैयार थी, गुरु ने मंत्रोच्चार आरंभ किये और आदेश दिया कि बलि चढ़ाई जाए। तभी यकायक उसकी नजर पड़ी कि राजा का अंगूठा नहीं है। गुरु ने कहा, 'इसे छोड़ दो क्योंकि इसका अंग भंग है और जिसका अंग-भंग हो उसकी बली देवी स्वीकार नहीं करती।' राजा को छोड़ दिया गया। वह गंभीर चित्त होकर महल में पहुंचा उसे लगा कि सचमुच, मंत्री ने जो कुछ कहा वह सही कहा अगर मेरा अगूंठा न कटा होता तो, आज मेरी बलि तय थी। राजा दरबार में पहुंचा और ससम्मान मंत्री को बुलवाया और सारी घटना बताते हुए कहा, 'तुमने जो कहा, सच कहा कि जीवन में जो होता है अच्छे के लिए होता है। मेरा अंगूठा कटा हुआ था अत: आदिवासियों ने मेरी बलि नहीं चढ़ायी, लेकिन यह तो बताओ कि तुम जो कारागार में पन्द्रह दिन रहे, यह तुम्हारे लिए अच्छा कैसे रहा।' मंत्री ने कहा, 'महाराज मैं आज भी कहता हूं जिंदगी में जो होता है, अच्छे के लिये होता है। मैं कारागार में था यह भी भगवान ने अच्छा किया। अगर कारागार में न होता तो मैं भी आपके साथ जाता और आपके साथ मैं भी पकड़ा जाता । राजन्, आपका अंगूठा कटा था इसलिए आप तो बच जाते, पर बलि का बकरा मैं बन जाता।' ____ जीवन में जो मिले उसका स्वागत करो और । जो खो जाए उसको भी प्रेम से स्वीकार करो। दुःख और सुख दोनों समान भाव से स्वीकारो।। सुख को भोग रहे हो तो पीड़ाओं को भोगने में संकोच क्यों कर रहो हो? अगर अनुकूलता का तुम जीवन भर स्वागत करते रहे तो प्रतिकूलता के लिये क्यों चिंतित हो रहे हो। चिंता से बचने का पहला सूत्र है-जिंदगी में जो हो जाय उसे प्रेम से स्वीकार कर लें। किसी बात को लेकर मन में तनाव, चिंता, टेन्शन पालने के बजाय प्रकृति की गोद में जियो और सोचो कि ज़िंदगी में जो हुआ है अच्छा हुआ है। उस व्यवस्था को सहजता से स्वीकार करो। अगर ऐसे स्वीकार कर लोगे तो दुःख कभी पास न फटकेंगे। चिंता का दूसरा कारण यह है कि हम बीती बातों के बारे में बहुत ज्यादा सोचते हैं । यह हुआ, ऐसा हुआ, ऐसा किया, अगर मैं ऐसा करता तो, अगर मैं 37 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003873
Book TitleKya Swad Hai Zindagi ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2011
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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