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________________ आप अपने द्वारा त्याग की भावना को प्रस्तुत करें। अगर आप शिक्षक हैं तो किसी भी एक गरीब छात्र को निःशुल्क पढ़ाएँ। यदि आप डॉक्टर है तो प्रतिदिन किसी एक जरूरतमंद रोगी का इलाज नि:शुल्क करें । अगर आप व्यवसायी हैं तो अपने व्यापार का गुर किसी एक व्यक्ति को सिखाकर उसे पांवों पर खड़ा करने का पूण्य अवश्य कमायें। आपका यह छोटा-सा सहयोग मानवता के लिए स्वस्तिकर होगा। समतामय जीवन ही साधना सुखी जीवन का एक सूत्र यह भी है कि आप अपने जीवन को समतापूर्वक जीने की कोशिश करें। उठापठक तो सभी के जीवन में आती है लेकिन इससे अपने हृदय को आन्दोलित न करें। भाग्यवश आपके पांव में अगर जूते नहीं हैं तो दुःखी न हों। आप यह सोचें कि दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जिनके पांव भी नहीं हैं । कम से कम उनसे तो आप भारत उत्तर- ARATISTITAND ज्यादा सुखी हैं। ईश्वर को धन्यवाद दें कि उसने जूते नहीं दिये तो क्या हुआ, उसने पांव तो दिए हैं। जीवन में मिलने वाली हर चीज को हम प्रेम से स्वीकार करें। परिवर्तन को हँस कर झेलने की कोशिश करें क्योंकि परिवर्तन तो जीवन में आएँगे ही। सुख आने पर गुमान और दुःख आने पर गम, दोनों ही आपके लिए घातक है। संत फ्रांसिस अपने शिष्य लियो के साथ एक नगर से दूसरे नगर की ओर जा रहे थे। वे जंगल से गुजर रहे थे और भंयकर बारिश हो रही थी। शिष्य पीछे और गुरु आगे चल रहे थे। मिट्टी गीली हो गई थी और दोनों के पाँव फिसल रहे थे। कपड़े मिट्टी से गंदे हो गए, पाँवों में कीचड़ लग गया, और तो और; हाथ की अंगुलियाँ और हथेली भी मिट्टी से सन गईं। बारिश में भीगते हए शिष्य लियो ने अपने गुरु संत फ्रांसिस से पूछा, 'गुरुवर, यह बताएँ कि दुनिया में संत कौन होता है?' फ्रांसिस ने कहा, 'वह संत नहीं है जो पशु-पक्षियों की आवाज समझ लेता है।' दो मिनट बाद लियो ने फिर पूछा, 'संत कौन होता है ? 'लियो, वह व्यक्ति भी संत 23 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003873
Book TitleKya Swad Hai Zindagi ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2011
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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