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किसी भी महिला ने यह जानने की कोशिश की कि लिपिस्टिक में क्या है ? आखिर चौबीस घंटे तो बन-ठनकर नहीं जीया जा सकता। क्यों न हर समय सहज रूप में रहें ताकि हमारा सहज सौन्दर्य भी उभर सके । सादगी से बढ़कर सौन्दर्य क्या ? राष्ट्रपति कलाम साहब जब राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित हुए तो समाचार पत्रों में उनके चित्र आने लगे कि अगर वे अपने बाल चित्रों में बताए गए तरीके से कटवा लेंगे या संवारने लगेंगे तो अधिक खूबसूरत लगेंगे, या कहा गया कि वे अपनी वेशभूषा में कुछ परिवर्तन कर लेंगे तो अधिक प्रभावशाली लगेंगे। लेकिन मैं सोचा करता कि अगर यह व्यक्ति काबिल है तो राष्ट्रपति बनने के बाद भी ऐसा ही रहेगा और मैं प्रशंसा करूँगा कलाम साहब की कि वे आज भी देश के साधारण व्यक्ति के समान ही जी रहे हैं । यही उनका श्रृंगार है - 'सादा जीवन, उच्च-विचार' । सादगी से बढ़कर और कोई शृंगार नहीं होता । अंत: सौंदर्य की सुवास
वस्त्रों और आभूषणों से जीवन में कृत्रिम सुंदरता पाने की बजाय आप उत्तम विचार और आचार से जीवन के वास्तविक सौन्दर्य के मालिक बनें। आपके पहनावे का भड़कीलापन कुछ मनचलों को आपकी ओर आकर्षित कर सकता है, पर आपकी सादगी और जीवन की श्रेष्ठता किसी महान व्यक्ति को भी आपकी ओर आकर्षित कर सकती है। वस्तुओं को बटोरना तो सामान्य बात है, लेकिन बटोरी हुई वस्तुओं का त्याग करना जीवन की महानता है। वैभव की व्यवस्था केवल आपके ही पास नहीं है। महावीर और बुद्ध भी ऐसे ही सम्पन्न थे, लेकिन उन्होंने देखा कि बाहर का वैभव आंतरिक वैभव के समक्ष फीका
है । महावीर निर्वस्त्र रहते थे तब भी लोग उनके पास जाया करते थे, क्योंकि उनके पास आंतरिक सौंदर्य की सुवास थी और यही उनका शृंगार था। जो अपने जीवन को सादगीपूर्वक उच्च विचारों के साथ जीते हैं, वे कितने भी बूढ़े क्यों न हो जाएं, कुरूप नहीं हो सकते। आपने महात्मा
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