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भी आता है जिसका हम चाचाजी से भी ज्यादा सम्मान करते हैं और मानमनुहार पूर्वक चार मिठाईयों से जंवाई को भोजन भी करवाते है और चाचाजी तो जाते समय सौ रूपए देकर गए पर जंवाई को तो जाते समय सौ रूपए हम देते हैं। सुख दुःख का यही विज्ञान है। सुख आवे तो समझो चाचाजी आए है और दुःख आए तो समझो जंवाई आया है। दोनों का सम्मान करो भाई। चाचाजी के सम्मान में कमी रह जाए तो चल भी जाएगा पर जंवाई के सम्मान में चूक न हो, सावधानी रखना। सादगी सर्वश्रेष्ठ श्रृंगार
यदि आप जीवन में खुशियाँ बटोरना चाहते हैं तो पहला मंत्र हैजीवन को सादगी-पूर्वक जीने की कोशिश करें। आपने सुना है-सादा जीवन उच्च -विचार। व्यवहार में सादगी हो, आचरण में श्रेष्ठता हो और विचारों में पवित्रता हो। तुम जितने ऊपर उठोगे उतनी ही विनम्रता तुम्हारे
व्यवहार में आ जाएगी। आम के पेड पर लटकती हई कैरी जब कच्ची होती है, तब तक अकड़ी हुई रहती है लेकिन जैसे-जैसे वह कैरी रस से भरती है, मिठास
और माधुर्य पाती है, वैसे-वैसे वह आम में तब्दील होती हुई झुकना शुरू हो जाती है। जो अकड़ कर रहती है वह कच्ची कैरी और जो झुक जाय वह पका हुआ आम।
जीवन में महानताएँ श्रेष्ठ आचरण से मिलती हैं-वस्त्र-आभूषण और पहनावे से नहीं। इसलिए जीवन को सादगीपूर्ण ढंग से जिएँ। सादगी से बढ़कर जीवन का अन्य कोई शृंगार नहीं है। ईश्वर को जो शारीरिक सौन्दर्य देना था, वह तो उसने दे दिया। उसे और भी अधिक सुंदर बनाने के लिए 'उच्च विचार और सादा जीवन' अपनाएँ, न कि कृत्रिम सौन्दर्य-प्रसाधन।
क्या आप नहीं जानते कि जिन कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग आप कर रहे हैं वे हिंसात्मक रूप से तैयार किए गए हैं? क्या आपने यह जानने की कोशिश की है कि आपकी शृंगार सामग्री के निर्माण में कितने पशुओं का करुण-क्रंदन छिपा हुआ है? क्या लिपिस्टिक लगाने वाली
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