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यह खबर भेजी। आज वे लोग मेरे निकट हैं, जिन्हें मैं प्रेम करता हूँ। सम्राट ! मैंने जन्मदिन तो बहत मनाए हैं लेकिन आज-सा आनन्द कभी नहीं पाया। मेरे जीवन में इतना आनन्द आ सकता है मैंने कल्पना भी नहीं की थी। सचमुच आज मैं अपूर्व आनन्द से भरा हुआ हूँ।'
सम्राट अवाक् खड़ा रह गया। उसने कहा- 'तुम अद्भुत इन्सान हो, तुम्हारी फाँसी भी व्यर्थ है । जो जीने की कला सीख गया, मौत उसे कभी मार नहीं सकती।'
जिसे नाचना है, जीवन का आनन्द उठाना है, वह तो जेल की कोठरी में भी नाच सकता है। जिसने बाँसुरी बजानी सीख ली है, वह घुप्प अँधेरे में भी बजा लेगा। पर जिसने भीतर से आनन्द का स्रोत उपलब्ध नहीं किया, वह आजीवन राजमहल में रहकर भी कभी प्रसन्न नहीं हो पायेगा और जिसने आनन्द का स्रोत कहाँ से उमड़ता है, इस रहस्य को खोज लिया है, वह मृत्यु को सामने देखकर दीप की लौ की तरह ऊर्ध्वमुखी हो जाएगा। वह वजीर मौत को सामने देखने के बाद भी इतना प्रसन्न बना रहा, शायद हम अपने जीवन में कभी इतने प्रसन्न नहीं हुए होंगे। उदासी और प्रसन्नता का संबंध बाहर से नहीं, भीतर से है।
यह जीवन हमें परमात्मा की ओर से मिली हुई सौगात है। यह भूल होगी यदि किसी दुःख की वेला में अपने जीवन को पापों का दण्ड मान लिया जाये। जीवन चाहे सुख में हो या दुःख, में यह जीवन हमारे पुण्यों का फल है। ___जीवन को निराशा से नहीं, आशा से जीओ। इस सृष्टि से ऐसा कुछ भी नहीं है, ऐसी एक भी स्थिति नहीं है जहाँ कुछ न कुछ आनन्द संभव न हो। हर अँधेरी रात में चमकते हुए तारे हैं। हर काले बादल में चमकती हुई बिजली है। काँटों के झुण्ड में भी गुलाब खिल रहे हैं। हम अँधेरी रात में भी अंधकार को न देखें, चमकते हुए तारों को देखें। शायद वे कहीं कोई आशा की किरण बन जायें। __ अपने जीवन के गणित को बदलो। अब तक काँटों को गिनते आये हो, अब फूलों को गिनो।अगर जिंदगी भर काँटों को गिनते रहे तो फूल भी काँटे बन जायेंगे।
एक बात मैं और कहना चाहूँगा कि अपने आनन्द को अभिव्यक्त करो, उसे फैलाओ। ऐसा करने से हमारे भीतर नये-नये रूपों में ऊर्जा आनी शुरू हो जायेगी। जैसे कुएँ से पानी खींचते हो, तो अन्तर के झरने पुन: उसे नया पानी दे देते हैं। आखिर हम सभी भी तो उस परम सागर से जुड़े हैं। सब कुछ संभव है, हमारे जीवन में संभव है। बशर्ते यह राज हमारी समझ में आ जाये कि बाँटने से बढ़ता है। फिर तो रात गई और प्यारी-सी सुबह अपने आप हो गई।
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