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लिए देश भर के हर कौम-पंथ-परंपरा में लोकप्रिय इस आत्मयोगी संत का शांत चेहरा, सहज भोलापन और रोम-रोम से छलकने वाली मधुर मुस्कान इनकी ज्ञान सम्पदा से भी ज्यादा प्रभावी है।
__ प्रस्तुत पुस्तक में तनाव, चिंता, क्रोध, अहंकार, प्रतिशोध और अवसाद जैसे मन के रोगों को न केवल पकड़ने की कोशिश की गई है, अपितु यह पुस्तक उन रोगों का निदान भी करती है। इस पुस्तक का हर पन्ना तनाव, घुटन और अवसाद से उबरने के लिए किसी टॉनिक का काम करता है। मधुर जीवन के लिए आवश्यक है कि हमारा मनोमस्तिष्क मधुर हो और मनुष्य ढोंग से जीने की बजाय ढंग से जीना सीख जाए। जीवन में तनाव और चिंता की चिता जला देनी चाहिए। ये हमारे शांति, सुख और सफलता के शत्रु हैं। पूज्य श्री हमारा मार्गदर्शन करते हुए कहते हैं कि मन में अनर्गल विचार न पालें, हर समय दुःखदायी विचारों में न डूबे रहें, सहनशीलता बढ़ाएं और हर परिस्थिति का स्वागत करें।
तनाव, चिंता और क्रोध की तरह ही पूज्यश्री भय को मानसिक उलझन बताते हैं । दृढ़ निश्चय, आत्मविश्वास और साहस से व्यक्ति भय के भूत को भगा सकता है। पूज्यश्री का यह वचन हमारी जिंदगी में आत्मविश्वास की रोशनी प्रदान करता है कि किसी की जिंदगी में मौत दो बार नहीं आती और समय से पहले भी नहीं आती, हर व्यक्ति की मृत्यु सोमवार से रविवार के बीच ही होती है। फिर हम निरर्थक भयभीत होकर चित को अशांत क्यों करें।
पूज्य श्री अहंकार और क्रोध को जीवन से हटाने की सलाह देते हुए कहते हैं कि ये विनाश के बीज हैं। जब व्यक्ति के अहंकार को चोट लगती है तब वह मानसिक तौर पर तिलमिलाता है और क्रोध में व्यक्ति दूसरों को दु:खी कर पाए या ना कर पाए पर स्वयं तो दुःखी हो ही जाता है। शांत मन का मालिक बनने के लिए प्रस्तुत पुस्तक में सुझाव दिया गया है कि हमें कर्मयोग से विमुख नहीं होना चाहिए, विपरीत स्थिति में मन को विचलित नहीं होने देना चाहिए और साथ ही हवाई किले नहीं बनाने चाहिए। धैर्य, आशा, आत्मविश्वास को जीवन का रत्न बताते हुए इस पुस्तक में पूज्यश्री ने सलाह दी है कि हम अपनी सोच को उन्नत रखें, प्रकृति तथा परमात्मा की व्यवस्थाओं में विश्वास रखें और अपने जीवन को सजगता तथा सहजतापूर्वक जीने का प्रयास करें।
जो लोग मन की शांति के मालिक बनना चाहते हैं, एक आध्यात्मिक संत की यह पुस्तक उन लोगों के लिए एक गुरु की भूमिका अदा करेगी। किसी सद्गुरु की तरह इस पुस्तक को सम्मानपूर्वक अपने साथ रखिए और अपने मन की हर उलझन को सुलझाने का प्रयास कीजिए।
-लता भंडारी 'मीरा'
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