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________________ चक्कर आने की शिकायत का संबंध भी चिंता और तनाव से है क्योंकि इन हानिकारक मनोवेगों से मस्तिष्क की नाड़ियाँ सिकुड़ जाती हैं। परिणामतः रक्तसंचार प्रभावित होता है और हमें चक्कर आने शुरू होते हैं। जिन लोगों की गर्दन के पीछे दर्द की शिकायत रहती है वे लोग इसके लिए किसी डॉक्टर के पास जाने से पहले आत्मावलोकन कर लें कि आप कई दिन से किसी चिंता के शिकार तो नहीं हैं। चिंता के कारण गर्दन के पिछले भाग की मासपेशियों में खिंचाव आ जाता है और गर्दन का दर्द शुरू हो जाता है।अगर कभी परीक्षण करना हो तो आप कभी भी, कहीं कुर्सी पर बैठ जाएँ अथवा आराम से जमीन पर भी बैठ जाएँ और आधे घंटे तक आँखें बंद करके कोई गंभीर चिंता करनी शुरू कर दें। आप पायेंगे कि आधे घंटा बाद आपकी गर्दन अकड़ गई है और पीछे के भाग में दर्द होना शुरू हो गया है; साथ ही साथ सिरदर्द की शिकायत भी शुरू हो गई है। मनोचिकित्सकों के अनुसार पिच्यासी फीसदी लोगों के सिरदर्द का कारण चिंता है। सिरदर्द को मिटाने के लिए कोई दवा लेने से पहले आप उसे मिटायें जो उस सिरदर्द का मूल कारण है। जैसे ही चिंता हटेगी, सिर हल्का हो जाएगा और दर्द गायब हो जाएगा। चिंता करने से नख से शिखा तक का भाग प्रभावित होता है। कब्ज रहना और भूख न लगना तो चिंता करने वालों की आम शिकायत रहती है। कई लोग मेरे पास आते रहते हैं। उनकी शिकायत रहती है कि उनकी आँखों में हर समय खिंचाव रहता है। कई तरह की दवाइयों का उपयोग कर लेने के बावजूद भी उनके मन में चिंता ही बनी रहती है। आँखें शरीर का सबसे कोमल अंग है और उन पर चिंता का सबसे पहले प्रभाव पड़ता है। चिंता के कारण आँखों की मासपेशियाँ कस जाती हैं और आँखों में दर्द होना शुरू हो जाता है। कुछ दिन पूर्व संबोधि-धाम में आयोजित एक स्वास्थ्य संगोष्ठी में किसी डॉक्टर ने जिक्र किया था कि भय और चिंता के कारण कई बार मनुष्य की आँखें खराब हो जाती हैं। उसे दिखना कम हो जाता है और बोलने की शक्ति भी प्रभावित हो जाती है। उन्होंने एक मरीज का हाल सुनाया कि वह आर्थिक दृष्टि से काफी डाँवाडोल हो चुका था। कई तरह के संकटों में फँस जाने के कारण उसे Jain Education International For Perso48 Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003870
Book TitleChinta Krodh aur Tanav Mukti ke Saral Upay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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