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________________ नहीं हुआ। किसी वस्तु के मिलने पर गुमान न हो और खो जाने पर गिला न हो। प्रकृति की अपनी जबरदस्त व्यवस्था होती है और वह प्रायः हमारी हर जरूरत को पूरा करती है। बच्चा पीछे पैदा होता है और उसके लिए माँ के आँचल में दूध की व्यवस्था पहले होती है। दुनिया में असंख्य जानवर जन्म लेते हैं, प्रकृति उनकी भी व्यवस्था करती है। माना कि जानवर खेती नहीं कर सकते पर मनुष्य अपने लिए अन्न पाने के लिए जब खेती करता है तो धान पीछे आता है किंतु जानवरों के लिए घास पहले उग आती है और इस तरह मनुष्य एवं पशु- दोनों के आहार की व्यवस्था प्रकृति द्वारा हो जाती है। करें, तनावोत्सर्ग-ध्यान तनाव से बचने या उबरने के लिए प्रतिदिन 15 मिनट ही सही भौंहों के बीच आज्ञाचक्र पर अपनी मानसिकता को एकाग्र करने की कोशिश करें। उससे हम 2-3 माह में ही तनाव से उबर जाएँगे। अगर आपको लगता है कि तनाव ने आपको गहरे जकड़ लिया है तो आप शरीर की निश्चलता का ध्यान करें। निश्चलता का अर्थ होता है शरीर की वह अवस्था जब हमारे सम्पूर्ण शरीर की माँसपेशियाँ और मस्तिष्क की सम्पूर्ण कोशिकाएँ पूर्ण विश्राम में हों। निश्चलता हमारी माँसपेशियों के तनाव को समाप्त करती है। अगर आप किसी भी प्रकार के तनाव से ग्रस्त हैं तो आप तनावोत्सर्ग ध्यान करें। इस ध्यान की प्रक्रिया से गुजरना मन-मस्तिष्क के लिए काफी उपयोगी होता है। तनावोत्सर्ग ध्यान करने के लिए किसी शांत स्थान का चयन करें। ऐसा कोई स्थान या कमरा चुनें जहाँ किसी तरह का कोई व्यवधान न हो। वैन्टीलेटर के अलावा कमरे के दरवाजे एवं खिड़कियाँ बंद भी रख सकते हैं ताकि हल्का -सा अँधेरा हो जाये। यदि रात को कर रहे हों तो खिड़कियाँ खुली भी रखी जा सकती हैं । फर्श पर कोई आरामदेय आसन या गद्दा बिछा लें ताकि लेटने में तकलीफ न हो। सावधान रहें कि इस विधि से गुजरते समय ढीले कपड़े पहनना ज्यादा उचित रहता है। अगर सर्दी हो तो कोई शाल भी ओढ सकते हैं और गर्मी हो तो हवा की Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003870
Book TitleChinta Krodh aur Tanav Mukti ke Saral Upay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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