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________________ बुरे काम करने वाले भी जानते हैं कि ये काम नहीं करने चाहिए, फिर भी वह जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करता है। इसलिए मैं निवेदन कर रहा हूँ कि जानबूझकर अनजान बनने की बजाय ज्ञात सत्य को जीवन में जीने का प्रयास करना चाहिए। हमें इस बात की खुशी नहीं है कि यहाँ इतने हजार आदमी सत्संग सुन रहे हैं । सत्संग को सुनकर लोगों का जीवन बदल रहा है, जीवनशैली बदल रही है। व्यक्ति किसी भी गलत काम को करने से पहले एक बार सोच रहा है। व्यक्ति एक बार भीतर का स्नान करे, गंगा को उतारने जैसा अपने भीतर भागीरथी प्रयास करे ताकि वह अपने अन्तर्मन को भी निर्मल व पवित्र कर सके। अंदर उतरें, करें रूपांतरण हजारों हजार संतों को सुनने का क्या लाभ अगर जीवन में रूपांतरण घटित न हो ! मुझे याद है, एक बूढ़े बुजुर्ग रोज किसी संत के सत्संग में जाया करते थे, भले ही वहाँ जाकर वे झपकियाँ ही लेते हों, पर सत्संग में जाते रोज थे। उनकी इच्छा थी कि उनका बेटा भी उनके साथ सत्संग में चला करे। वे रोज अपने बेटे से आग्रह करते और कहते 'बेटे, एक बार तो चलो, वहाँ देखो तो हजारों लोग आते हैं । एक दिन तो प्रवचन सुनने चलो।' पिता के बहुत आग्रह करने पर अन्ततः एक दिन बेटा चला ही आया। वहाँ उसने संत की वाणी सुनी। दया, करुणा, प्रेम पर संत उद्बोधन दे रहे थे। वे समझा रहे थे कि कोई घर के दरवाजे पर आ जाए तो उसे भूखा मत लौटाओ, भोजन दे दो, कुछ खाने को दे दो। इस तरह वे दया-दान की बातें बता रहे थे। उस युवक ने सब सुना। अगले दिन की बात है। बेटा दुकान पर बैठा था और दादाजी सत्संग सुनने चले गए थे। जब वे सत्संग से दुकान की ओर लौटे तो देखा कि बेटा दुकान में बैठा है और बाहर जवार की बोरी खुली रखी है जिसको गाय बड़े मजे से खा रही थी। इतने में पिताजी पहुँचे और चिल्लाने लगे, 'अरे बुद्ध, तू देखता नहीं है, बाहर गाय धान खा रही है और तू आराम से बैठा है।' उसने कहा - 'पिताजी, कल ही तो संतप्रवर ने कहा था कि घर पर कोई भूखा, दीन-दु:खी आ जाए तो उसे 138 For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003870
Book TitleChinta Krodh aur Tanav Mukti ke Saral Upay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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