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________________ समर्पण की सुवास नैतिक, पवित्र, स्वस्थ जीवन जीना ही परमपिता परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ पूजा है। OTधिक स्वस्थ, स्फूर्त और ऊर्जावान जीवन जीने के लिए संसार का एक सर्वश्रेष्ठ मार्ग है और वह है योग। योग यानी जुड़ना। अपने आपके साथ जुड़ना, परमात्म-शक्ति से जुड़ना योग है। यदि आपको स्वास्थ्य-लाभ चाहिए तो मैं कहूँगा, आप योग अपनाइए। यदि मन की शांति चाहिए तो आप योग अपनाइए। योग जीवन के हर कदम पर आपका सहयोगी बनेगा। आप योग को अपना मित्र बनाइए। योग आपको सबका मित्र बनाएगा, कल्याण-मित्र! विश्वमित्र! पतंजलि, महावीर, बुद्ध – ये तीनों योगमार्गी हैं। पतंजलि हमें योग की बारीकियों से परिचित कराते हैं। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि - पतंजलि के योग का बहुत सुव्यवस्थित मार्ग है। महावीर यम को व्रत कहते हैं और बुद्ध शील। हिंसा, चोरी, झूठ, उपभोग और संग्रह-वृत्ति पर अंकुश लगाना ही यम है। गलत और अनैतिक कार्यों को त्यागे बिना योग को नहीं जिया जा सकता। स्वाध्याय, भक्ति और मर्यादा नियम हैं। शरीर की जडता और तनाव को दूर करने के लिए आसन/योगासन हैं। अपनी इंद्रियों को आत्मस्थिति की ओर लौटाना प्रत्याहार है। प्राणशक्ति का विस्तार करना प्राणायाम है। अंतर्मुखी होने के लिए संकल्पशील होना धारणा है। अंतर्वरूप में स्थित होना ध्यान है और उसकी पराकाष्ठा को छूना समाधि है। पतंजलि का योग-मार्ग एक संपूर्ण जीवन-दर्शन को लिए हुए है। यह एक 'संपूर्ण मार्ग' है। अत्यंत व्यावहारिक और अत्यंत वैज्ञानिक। मुझे विश्व के महापुरुषों की जो-जो बातें विशेष अच्छी लगीं, उनमें यह एक है। मैं महर्षि पतंजलि का Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003869
Book TitleAntar ke Pat Khol
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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