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ध्यान : अन्तर्मन का आरोग्य
मन मनुष्य का प्रेरक है। मन की जैसी अवस्था होगी, मनुष्य को वैसी ही प्रेरणा प्राप्त होगी। दुर्विकल्पों से घिरे मन की प्रेरणा मनुष्य के लिए दुर्व्यवस्था का ही कारण बनेगी। वहीं संकल्प और आत्मविश्वास से भरे • मन की प्रेरणा मनुष्य के उत्थान का कारण बनेगी। मन आधार है मनुष्य
के जीवन का; मन ऊर्जा का प्रचंड स्रोत है मनुष्य के संहार और विस्तार का।
मन विकृत हो तो हमारे कार्यकलाप सम्यक् नहीं हो सकते। विकृत मन इंद्रियों का जब भी उपयोग करेगा इंद्रियाँ उन्हीं निमित्तों को ग्रहण करेगी, जिनसे उसके विकारों की पुष्टि और पूर्ति होती हो। मन विकृत तो आँखें विकृत, इंद्रियाँ विकृत। सौंदर्यमय काया के भीतर मन का मैला होना बिल्कुल
ध्यान : अन्तर्मन का आरोग्य / ५७
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