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ग़ालियाँ भरी पड़ी हैं। किस आदमी के भीतर कितनी ग़ालियाँ भरी पड़ी हैं, एक बोतल शराब पिला दी जाए तो एक घंटे में पता चल जाएगा कि उसका असली स्वरूप क्या है? केवल एक घंटे में । वह जो बोलने लगेगा वही उसका असली चेहरा होगा, अवचेतन का प्रकट रूप। शराबी लोग जितनी भी ग़ालियाँ निकालते हैं, वे सब कहाँ से आ रही हैं? भीतर से। वे सबके भीतर हैं। हो सकता है, आपने कभी गाली न निकाली हो । पर आपमें से और हममें से कोई भी यह नहीं कह सकता कि उसे ग़ालियाँ याद नहीं हैं, पर बुरे बीज तो हमारे भीतर पहले से बोये हुए पड़े हैं। हमें उन फ़सलों को काटना होगा और अच्छे बीज हमें अन्दर बोने होंगे। ___ आज मैं जो भी कुछ बोलता हूँ, उसकी क़ीमत आपको कंकड़ की तरह नज़र आती होगी, लेकिन आपके भावी जीवन में मेरी यही बातें किन्हीं हीरों का काम करेंगी। आपकी जिंदगी में जब-जब विफलताओं की वेला आएगी, जब-जब बाधाएँ आएँगी तब-तब आपके लिए मेरी बातें चमत्कार का काम करेंगी। तब वे आपके लिए रोशनी का काम करेंगी। आज ये वचन कंकड़ की क़ीमत के लगते हैं, लेकिन ये तब आपके लिए हीरों की क़ीमत के हो जाएँगे। मुझे पता है, महावीर जीवित रहे. तो लोगों ने कान में कीलें ठोंकी, जीसस जीवित रहे, लोगों ने सलीब पर चढ़ाया। मैं भी रहँगा मेरे विचार, मेरे चिन्तन का मूल्य नहीं रहेगा, लेकिन जब मैं चला जाऊँगा तो मेरे यही विचार, मेरे वचन लोग वैसे ही उपयोग करेंगे जैसे लोग किसी महावीर और बुद्ध के, राम और कृष्ण के वचनों का संदर्भ दिया करते हैं और जीवन के लिए प्रेरणा लिया करते हैं। लोग मेरे वचनों का उपयोग करेंगे, पर हमारे यहाँ दिक्कत यही है कि यहाँ इंसान की पूजा जीते-जी नहीं, मरने के बाद होती है। मरने के बाद पूजने वाले मंदिर जाते हैं और जो जीवित लोगों का सम्मान करते हैं, वे जीवित इंसान में ही भगवान देख लिया करते हैं।
सार बात इतनी सी है कि अपनी सोच को सकारात्मक बनाओ।आखिर जैसी सोच होगी, वैसा ही लक्ष्य होगा। जैसा लक्ष्य होगा, वैसा ही पुरुषार्थ होगा और जैसा पुरुषार्थ होगा, वैसी ही सफलता होगी। 'पॉजिटिव थिंकिंग इज दा बैक बोन
ऑफ एनी सक्सेसफुल प्रोडक्ट।' हर ऊँची सफलता के लिए सकारात्मक सोच मेरुदंड का काम करती है। मेरुदंड इसलिए कि सोच ही शब्द, व्यवहार और चरित्र बनती है। सोच में ही महान सपने छिपे रहते हैं । बड़ी सोच का बड़ा जादू
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