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वह प्राप्त करो । ताश के पत्ते में दिन को मत जाने दो। गप्पे-शप्पे में दिन पूरा मत करो। जीवन एक रुपये के सिक्के की तरह है। एक रुपये के सिक्के में चार चवन्नियाँ होती हैं । लगभग दो चवन्नियाँ पूरी हो गई हैं। दो बाकी हैं। सोचो, आपने चवन्नी का क्या उपयोग किया? क्या हासिल किया? चवन्नी का परिणाम हाथ में हो।दिन गुज़रे, तो आपके हाथ में दिन का परिणाम हो।
दिन का मूल्य सब अपने-अपने हिसाब से प्राप्त करते हैं । पेट्रोल पम्प पर काम करने वाला बॉबी अपने हिसाब से दिन का मूल्य प्राप्त करता है और दुनिया के सबसे बड़े उद्योगपति बिल गेट्स अपने हिसाब से उस दिन का मूल्य अर्जित करते हैं । दिन वही है, जीवन वही है, लेकिन मूल्य अपने-अपने हिसाब से सबने अख्तियार किये। जीवन तो ऐसे लगता है जैसे कोई बाँस का टुकड़ा हो । जीवन जीने की कला न आये तो यह जीवन केवल एक बाँस का टुकड़ा भर रहता है, पर जीने की कला आ जाए तो यही बाँस का टुकड़ा बाँसुरी बन जाया करता है।
जीवन का मूल्य और जीवन की समझ हर इंसान के पास होनी चाहिए। जीवन की समझ न होने के कारण ही लोग बाँस के टुकड़े का उपयोग आपस में लड़ने-लड़ाने के सिवा और कुछ नहीं करते। या फिर कोई मर जाए तो अर्थी सजाने के लिए बाँस का उपयोग किया करते हैं। बाकी तो लोग बाँस को अशुभ और अपशकुन के रूप में लेते हैं, लेकिन जीने की कला न आये तभी तक यह अपशकुन है । घर से बाहर निकले और निकलते ही बिल्ली आ गई तो...? घर से निकले और निकलते ही सामने कोई छींक खा गया तो?... तो बोले अपशकुन हो गया। अब तक जीने की कला न आई इसलिए अपशकुन नजर आया।
सच्चाई तो यह है कि जो आदमी पौधे को देखकर काँटों पर गौर नहीं करता, काँटों पर खिले हुए गुलाब के फूल पर गौर करता है उसके लिए अगर सामने बिल्ली भी आ जाए तो मन में खटास नहीं आती। बिल्ली आ जाए तो भी प्रणाम करते हुए कहता है, धन्यवाद प्रभु! आज तूने इस रूप में आकर दर्शन दिए। साधुवाद दो और श्रीप्रभु का नाम लेते हुए आगे बढ़ जाओ। बिल्ली का प्रभाव ख़तम हो जाएगा। कोई आया, छींक खाई और छींक खाते ही आपके मन में खटास आ गई कि अरे यार! पहले कौर में ही मक्खी आ गिरी। हमने अपनी मानसिकता को नेगेटिव बनाया इसलिए परिणाम ऐसा निकला। तब हमारा अगला क़दम उस छींक के भय से भरा हुआ होगा, वहीं अगर बाहर निकले और बाहर
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