SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आज निरमा ब्रांड के मालिक हैं। नौकरी करते हो तो भी घबराना मत । मैं तो हमेशा कहा करता हूँ कि नौकरी मत करो और अगर नौकरी करते भी हो तो आठ घंटे वहाँ नौकरी करना, पर चार घंटे व्यापार के लिए समर्पित करना । जैसे-जैसे तुम्हारे व्यापार में तरक्की हो जाए नौकरी को एक तरफ कर देना। किसी और को सर या बॉस कहना हो तो नौकरी करो, दूसरों से सर या बॉस सुनना हो तो मालिक बनो । उद्योग करोगे तो आगे बढ़ोगे, नौकरी करोगे तो आठ-दस हज़ार में ही बुढ़ापे तक की ज़िंदगी जीने के लिए मज़बूर रहोगे । आगे बढ़ो, प्रगति के लिए परिश्रम से बढ़कर और कोई विकल्प नहीं है । हो सकता है कि आज आप केवल नौकरी कर रहे हों। रिलायंस कंपनी के मालिक धीरू भाई अम्बानी भी कभी नौकरी ही करते थे, लेकिन उन्होंने अपनी ज़िंदगी को नौकरी तक सिमटने न दिया । अगर आप पढ़े-लिखे इंसान हैं, तो मैं कहना चाहूँगा, अपने घर को ग़रीब मत रहने दो, नई कामयाबियों को हासिल करो, नई सफलताओं को हासिल करो । धर्म के पथ पर जा रहे हो तो धर्म के पथ पर ऊँचे बढ़ो, साधना के पथ पर आये हो तो साधना के पथ की ऊँचाइयों को छुओ और अगर विद्यार्जन कर रहे हो तो विद्या में आगे बढ़ो । विद्या कामधेनु की तरह फलदायी है । बस, आसमान छूने की ललक पैदा करो। 'जो चलै सो चरै ।' जो चलेगा सो चरेगा, जो बैठा रहेगा भूखा मरेगा। जो चलता रहेगा वह कहीं-न-कहीं अवश्य पहुँचेगा । 'रसरी आवत जात ते सिल पर पड़त निशान' । और 'करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान' । करते रहो, करते रहो, करते रहो । सच्चाई तो यह है कि अगर रस्सी भी लगातार पत्थर पर चलती रही तो पत्थर, पत्थर न रहेगा, पत्थर भी घिस जाएगा । वह भी गोल होकर शिवलिंग बन जाएगा। अगर लगातार पानी की बूँद संगमरमर पर गिरती रहें, तो उसमें भी गड्ढे हो जाएँगे। सफलता का एक ही गुरुमंत्र है : मुन्ना भाई ! लगे रहो लगन से । निरन्तर अभ्यास कठिन से कठिन वस्तु को भी सहज-सरल बना देता है । T लक्ष्य न ओझल होने पाए, क़दम मिलाकर चल । मंज़िल तेरे पग चूमेगी, आज नहीं तो कल ॥ हर सफलता के पीछे असफलता की लम्बी फेहरिस्त होती है । सफलता अवश्य मिलती है बशर्ते इंसान सफलता के लिए लगा रहे। मंदबुद्धि लोग भी आगे बढ़ सकते हैं, यह सच है। मैंने कभी नौवीं कक्षा सप्लीमेंट्री से पास की थी। कभी 16 | Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy