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________________ कठोपनिषद् को माध्यम बनाकर हम सब लोगों का मृत्यु के साथ संवाद करवाया है। महान आत्म-जिज्ञासु नचिकेता अपने पिता द्वारा अभिशापग्रस्त होकर मृत्यु के पास चला जाता है, लेकिन अपनी तपस्या, निष्ठा और समर्पण के चलते न केवल मृत्यु के द्वार से वापस लौट आता है, बल्कि मृत्यु से ऐसे प्रश्नों का समाधान पाने में सफल होता है जो आमतौर पर सामान्य मनुष्य के द्वारा अनुत्तरित रहते हैं। मृत्यु के साथ होने वाले ये संवाद बड़े दिलचस्प हैं। श्री चन्द्रप्रभ जैसे चिंतक एवं दार्शनिक व्यक्तित्व के द्वारा कठोपनिषद् पर बोलना अपने-आप में किसी चमत्कार से कम नहीं है। कठोपनिषद् नाम सुनने मात्र से लगता है कि यह कोई कठिन शास्त्र होगा, लेकिन कठिन से कठिन बात को जितनी सहजता और सरलता के साथ श्री चन्द्रप्रभ ने व्यक्त किया है, उससे उपनिषदों का गहन-गूढ़ ज्ञान भी आज के आम इंसान के लिए सहज हृदयंगम करने जैसा हो गया है। आप इसे पढ़ेंगे तब चमत्कृत हो उठेंगे। मृत्यु के बारे में आप निर्भय चेतना के मालिक बनेंगे। आपके लिए मृत्यु तब कोई काले भैंसे पर चढ़कर आने वाली काली छाया नहीं होगी, वरन् जीवन की यात्रा को पूर्णता देने वाली उपकारी कलयाण-मित्र बन जाएगी। मृत्यु को तब हम कोई संकट नहीं समझेंगे, बल्कि मृत्यु हमारे लिए जीवन का महोत्सव बन जाएगी। मत्यु से मुलाकात ग्रंथ का हर पन्ना, हर बात इतनी सीधी सरल है कि मानो हम किसी मानसरोवर में उतरकर नौका-विहार कर रहे हैं। ग्रंथ का हर संवाद आपको आध्यात्मिक आनन्द प्रदान करेगा। आपको जीवन जीने की नई दृष्टि उपलब्ध होगी। ग्रंथ पढ़ने के बाद आपको लगेगा कि आप एक बोझ से मुक्त हो चुके हैं। आपमें एक नई ताज़गी, नई चेतना का संचार हुआ है। -प्रकाश दफ्तरी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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