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________________ तो वे श्रद्धा से भर उठे। गाय हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग रही हैं। गाय को धन माना गया है। भारतीय संस्कृति का आधार रही है गाय। ज़माना बदल गया, अब गाय पालना लोगों ने छोड़ दिया; इसलिए गायें कत्लखानों में पहुंचने लगी हैं। आज अगर गायें बची हुई हैं तो गौशालाओं की बदौलत और गौशालाएँ चल रही हैं वैश्य लोगों की बदौलत। ब्राह्मण तो गायों के मामले में मौन हो गए हैं। आज भी एक-एक ब्राह्मण एक-एक गाय का जिम्मा ले ले, तो गाय का कटना थम जाए। गाय को यूँ ही कोई मामूली मत समझ लेना। गाय में ब्रह्मा का अंश माना गया है। चौरासी लाख देवताओं का उसमें अंश है। ___आज के ज़माने में गाय रखना हँसी-खेल नहीं है। लोगों के पास घरों में गाय के लिए जगह ही नहीं बची है। लोगों के पास अन्य कामों के लिए तो खूब जगह है, लेकिन गाय को रखने की जगह नहीं है। ज़माना तो ऐसा आ गया है कि लोग अपने माँ-बाप तक को साथ नहीं रख पा रहे हैं। उनके लिए वृद्धाश्रम बनाए जा रहे हैं। ऐसे में गाय की तो बिसात ही क्या है? देश का वैश्य समाज गायों के संरक्षण के लिए निश्चित रूप से काफ़ी काम कर रहा है। राजस्थान में एक अकेली ऐसी गौशाला है जिसके तहत डेढ़ लाख गौएँ पलती हैं। और यह गौशाला है पथमेड़ा की। इसको चलाने वाले जो भी महाराज हैं, नाम तो मुझे नहीं मालूम, लेकिन मैं उन्हें प्रणाम करता हूँ। वे महाराज मुझे जिंदगी में जब भी मिलेंगे, मैं उनके पाँवों की धूल को अपने माथे पर ज़रूर लगाऊँगा। जो महाराज डेढ़ लाख गौओं को पालते हैं, वे ख़ुद एक तीर्थ हैं। उनमें भगवान कृष्ण का अंश है। ___ नचिकेता पहले तो गायों को दान में दिए जाते देख प्रसन्न हुआ, उसके पाँव थिरकने लगे; लेकिन जब उसे पता चला कि पिताश्री ऐसी गायें दान में दे रहे हैं जिन्होंने दूध देना बंद कर दिया है, जो अशक्त हो चुकी हैं, तो वे बड़े व्यथित हुए। दान उसी चीज का दिया जाना चाहिए जो उपयोगी हो। कई महिलाएँ अपनी नौकरानी को साड़ी देती हैं लेकिन ऐसी साड़ी, जिसे पहनकर उनका मन भर चुका है, ऐसी साड़ी जिसे पहनकर वे कहीं जा नहीं सकतीं, अपना अपमान महसूस करती हैं; तो उस साड़ी को देने का क्या अर्थ है ? तब आप साड़ी नहीं, अपना अपमान अपनी नौकरानी को दे रही हैं। इसे दान नहीं कहा जा सकता। व्यर्थ की वस्तुओं के दान का कोई अर्थ नहीं होता। ऐसा दान स्वर्ग नहीं, नर्क का रास्ता खोलता है। बचा हुआ बासी खाना किसी को दिया, तो क्या दिया? यदि आपने किसी गरीब बच्चे को बासी पाव रोटी दी है, तो आप उसे दान कैसे कह सकते हैं ? हक़ीक़त में आपने दान नहीं दिया, अपनी ओर से किसी गरीब को बीमारी 34 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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