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तो गुरु ने कहा, उस सामने वाली गुफा में चले जाओ; लौटकर आओगे तो बताऊँगा कि मृत्यु क्या है ? तीनों गुफा में चले गए। वहाँ जाकर उनकी आँखें चौंधिया गई । गुफा में तो सोने की अशर्फियों का ढेर लगा था। तीनों अपना सवाल तो भूल गए और इस पर विचार करने लगे कि इस ख़ज़ाने को बाहर कैसे ले जाएँ ? इतना सोना कंधे पर तो ले जा नहीं सकते थे। तीनों ने फ़ैसला किया कि एक साथी बाहर जाकर भोजन भी ले आए और साथ में एक बैलगाड़ी भी । वह साथी गुफा से बाहर निकला, तो पीछे दोनों साथियों के मन में आया कि इतना सोना हम दोनों ही बाँट लें, तो मजा आ जाए। लेकिन तीसरे साथी का क्या करें ? दोनों ने योजना बनाई कि जैसे ही वह भोजन और बैलगाड़ी लेकर आएगा, हम उस पर हमला बोल देंगे। उसे मारकर यहीं ज़मीन में दफना देंगे। साथी बैलगाड़ी लेकर आया तो उन्होंने ऐसा ही किया। साथी की हत्या कर उसका शव गुफा में ही गड्ढा खोदकर दबा दिया। इस काम से निवृत्त हुए, तो उन्हें भूख लग आई । उन्होंने साथी द्वारा लाया भोजन किया। भोजन करते ही उनके भी प्राण-पखेरू उड़ गए। हुआ यूँ कि बैलगाड़ी लाने वाले साथी के मन में भी लालच जग गया कि दोनों साथियों को मार डालूँ, तो सारा सोना उसका अकेले का हो जाएगा। इसलिए उसने साथियों के लिए जो भोजन बनवाया, उसमें जहर मिलवा दिया। इस तरह तीनों का वास्तव में मृत्यु से साक्षात्कार हो गया। सोना पीछे ही पड़ा रह गया । यह सोना - खाना ही तो हमारा शोषण करते हैं, हमें बहलाते हैं और ललचाते हैं । मोह-माया की आड़ में ही मृत्यु हमारे निकट आती चली जाती है। इसलिए धन के पीछे पागल होने की बजाय, संयम का जीवन जीने की आदत डालें । दुराचार को जीवन से निकालें, सदाचार को अपने भीतर स्थान दें । भीतर की अशांति को हटाएँ, शांति से जीवन जीने का आनन्द लें । जीवन में वैराग्य, अनासक्ति के फूल खिलाने का प्रयास करें। अपनी वाणी, व्यवहार, धनार्जन में भी संयम रखें। दैनन्दिन कार्य शांति और संयम से करें। जल्दबाजी नहीं करेंगे, तो नुकसान से बच जाएँगे ।
यमराज कहते हैं कि जो इन चार शर्तों को पूरी करता है, वह आत्म-तत्त्व के करीब पहुँच सकता है । साधना करना हमारे हाथ में है । इसका प्रतिफल कब मिलेगा, यह परमात्मा पर छोड़ दें । संत बनना और संत होना, दोनों अलग-अलग बातें हैं। ऊपर वाला चाहेगा तब ही महावीर, बुद्ध बन पाएँगे, उसकी कृपा के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है और कृपा के लिए पात्रता चाहिए। अपने भीतर उस पात्रता को पैदा कीजिए, भगवान का आशीर्वाद आप पर अपने-आप बरसने लगेगा ।
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