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________________ ॐ से हर तरह के वास्तु-दोष का निवारण हो जाता है। ॐ की शक्ति अपने आप काम करती है। सारे वेद, आगम-उपनिषद, शास्त्र ॐकार की साधना की प्रेरणा देते हैं। अ उ म...मिलकर ॐ बन जाता है। जैन धर्म में आदिनाथ का अ और महावीर का म मिलकर ॐ बन जाता है। इस्लाम में अल्लाह का अ और अंतिम पैगम्बर मोहम्मद साहब का म मिलकर ॐ बन जाता है। कुल मिलाकर ॐ पराशक्ति का प्रतीक शब्द है। यह दूरगामी परिणाम देने में सक्षम है। ॐ की साधना करनी है, तो सिर्फ ॐ का उच्चारण ही तो करना है। सत्ताईस दिन तक लगातार 24 मिनट सुबह-शाम ॐ का उच्चारण करेंगे, तो वह स्थान साधारण कक्ष नहीं, प्रभु की आत्म-वंदना का मंदिर बन जाएगा। ॐ के उच्चारण के साथ भीतर की कोशिकाओं को जागृत करना है, तो रोजाना ॐ की पराध्वनि पैदा करें। ॐ की ध्वनि से शरीर के सारे तंतु जाग जाते हैं। हमारे सोए ज्ञान-तंतु भी ॐ के उच्चारण से सक्रिय हो जाते हैं। परिणाम लाना है, तो निरन्तर प्रयास करने की रूरत है। अपने मस्तिष्क को जागृत करने के लिए तरंगें पैदा करें, इसमें ॐकार के वाइब्रेशन कर शरीर को झनझनाइए। मस्तिष्क की परतें खुलने लगेंगी। इससे भी गहरी साधना करनी हो, तो हमें आती-जाती साँसों के साथ ॐकार का स्मरण करना होगा। सहज साँसों के साथ स्मरण करना होगा। इसके बाद भी मन न लगे, तो फिर गहरी साँस लो। लकड़ी काटने के लिए उस पर आरी लगातार चलानी पड़ती है। हमें भी निरंतर साँस के साथ ॐकार को चलाना पड़ेगा। मन भटके, तो वापस उसे अपने स्थान पर ले आओ। लगातार गहरी साँस लो। ॐकार के स्मरण का एक धाराप्रवाह भीतर शुरू कर दो, तब ऊर्जा जागृत होगी। शरीर, मन, वाणी सबको विश्राम दें। तब ही हम उस ॐकार स्वरूप को प्राप्त कर पाएँगे, भौतिक शरीर में छिपे तार भगवान से जोड़ पाएँगे। 180 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003862
Book TitleMrutyu Se Mulakat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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