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शिक्षा सिर्फ आजीविका के लिए प्राप्त नहीं की जाती। शिक्षा का उद्देश्य इंसान में बेहतरीन संस्कारों का निर्माण करना है। इंसान का विकास होना ही चाहिए, न केवल सांसारिक विकास अपितु आध्यात्मिक विकास भी होना चाहिए। आध्यात्मिक विकास करने के लिए ही यमराज कहते हैं, हे नचिकेता, आत्म-तत्त्व के बारे में ध्यानपूर्वक सुनो। तुम मृत्युदेव के पास आकर मृत्यु के बारे में, आत्म-तत्त्व के बारे में जानना चाहते हो, तो तुम इस बारे में ध्यानपूर्वक सुनो। सुनकर उसे ग्रहण करो, उस पर विवेकपूर्वक विचार करो कि क्या लेकर आए थे, क्या छोड़कर जाओगे? शरीर क्या है? आप खुद क्या हैं? इस पर विचार करोगे, तो भीतर से जवाब भी मिलने लगेगा।
साथ कुछ नहीं जाएगा, सब यहीं रह जाएगा। संसार में जो कुछ है, उससे इंसान राग पाल लेता है। अमुक से मुझे प्रेम है, अमुक से नफरत है, इस तरह के निमित्त हम अकारण ही खड़े कर लेते हैं। अनुराग, ईर्ष्या, किसी को देखकर खुशी, किसी को देखकर नाराजगी, मन में जलन, ये सब क्या हैं? इस संसार के झूठे निमित्त। असलियत तो यह है कि तुम अकेले आए थे, अकेले ही जाओगे। गीता कहती है, सोच-सोचकर सोचो, तुम आए थे तब क्या लाए थे? जाते समय साथ क्या ले जाओगे? इसलिए धन है, तो उसका उपयोग करो, सार्थक उपयोग। आसक्ति मत पालो। माता-पिता के साथ हो, पत्नी के साथ हो, तो जीवन की अनिवार्यताओं का पालन करो, उनके प्रति ममत्व मत पालो। ऐसा नहीं हो कि उनके बिना जी ही न सको। जीव अकेला आता है और अकेला चला जाता है।
__ भोजन है तो खा लो, न मिले तो उपवास सही। उसका भी आनन्द लो। फकीरी का आनन्द तो यही है कि सब-कुछ है तब भी ठीक और कुछ नहीं है तब भी ठीक। साधु की परिभाषा क्या होती है? जो मिल गया, खा लिया; नहीं मिला तो संतोष कर लिया। मैं इसमें एक बात जोड़ देता हूँ, मिल गया तो प्रभु का प्रसाद और न मिला तो समझो, आज प्रभु की कृपा हो गई कि उपवास का अवसर मिल गया। कुछ भी मिले तो बाँटकर खाओ। तब वह प्रसाद बन जाएगा। साधु का यही काम है, जो मिला, उसे मिल-बाँटकर खाना। यही सकारात्मक जीवन जीने की कला है।
यमराज कह रहे हैं, विवेकपूर्वक विचार करो, उसी से पता चलेगा कि क्या नित्य, क्या अनित्य है? क्या संयोग और क्या वियोग है? अच्छा-बुरा क्या है? सुबह के बाद रात आती है और रात के बाद सुबह । प्रकृति परिवर्तनशील है। शरीर भी परिवर्तनशील है। विवेकपूर्वक किसी बिन्दु पर विचार करेंगे, तो अपने आप अनासक्त होते चले जाएँगे, निर्मोही बनने की शुरुआत हो जाएगी। तब किसी एक
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