SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बजाय उन्हें भुला देना ही तनाव-मुक्ति की अमृत औषधि है । जो कुछ और जैसा भी हमको मिला है उसी में संतुष्ट रहना अगर मनुष्य को आ जाए तो तनाव की आधी बीमारी खत्म हो सकती है। आपके पास खुशी का कोई साधन नहीं है तो भी आप मुस्कुराते हुए बच्चे को देखकर प्रसन्न हो सकते हैं। खिले हुए फूल व खेत-खलिहान को, पर्वत-नदियों व प्राकृतिक सौन्दर्य को देखकर खुश हो सकते हैं और तो और, उगते हुए सूरज, खिला हुआ चांद और टिमटिमाते तारों को देखकर भी हम प्रसन्न हो सकते हैं। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से एक दिन यों ही किसी ने पूछा कि आप रात को बारह बजे तक कार्य करते हैं फिर भी तरोताजा बने रहते हैं। इसका कारण क्या है? आपकी तंदुरुस्ती का राज़ क्या है ? पंडित जी ने कहा, 'मैं रोज थोड़ी देर बच्चों के बीच रहता हूँ। जिनसे ढेर सारी खुशियाँ बटोर लेता हूँ। रोज सुबह बगीचे में टहलता हूँ जिससे ताजी हवा पा लेता हूँ और एक काम जो वर्षों से करता आया हूँ, वह है - बीती बातों को ज्यादा सोचा नहीं करता हूँ।' बीते का चिंतन न कर, छूट गया जब तीर। अनहोनी होती नहीं, होती वह तकदीर ॥ तनाव-मुक्ति के लिए हम इस सूत्र का सहारा ले सकते हैं। कुछ अच्छी बातें होती हैं जिन्हें हम अपने जीवन में जीने का प्रयास करें। ये बातें पंगु के लिए वैसाखी का काम कर सकती हैं। औरों की निंदा, ईर्ष्या, दोषारोपण की भावना, बिना सोचे समझे कुछ भी बोल जाना, ये सब पछतावे के कारण होते हैं और धीरे-धीरे हमें तनाव की ओर खींच लेते हैं। हम अपने ही भीतर जन्मने वाले विचारों का निरीक्षण करें। जो विचार औरों से जुड़े हुए हैं, देखें कि वे विचार ईर्ष्या और द्वेष से प्रेरित तो नहीं है ? अगर ऐसा है तो उन्हें दरकिनार करें। आपकी भूलने की आदत हैं, यह अच्छी बात है। आप उसका उपयोग करें। प्लीज'! आप अपने जीवन की खुशियों के लिए उन बातों को भूल जाएँ जो बार-बार आपकी जिंदगी में तनाव के काँटे उगा रही हैं। इस बात का बोध रखें कि हमारा मूल स्वभाव क्या है- पीड़ा या आनंद? और जब इन दो में से एक के चयन का मौका आए तो झट से आनंद को चुन लें।अपनी जेब में ऐसी मुहर रखें, जिससे सदा एक ही शब्द छपता हो और वह है खुशी। सुबह उठते ही एक मिनट तक तबीयत से मुस्कुराएं। वह एक मिनिट की मुस्कान आपके चौबीस घंटे की दैनंदिनी व्यवस्थाओं में माधुर्य घोल देगी। सुबह उठकर मुस्कुराना अपनी झोली में खुशियों को बटोरने का पहला साधन है। 33 For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003861
Book TitleJine ki Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy