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________________ उनके पीछे उनका उत्साह ही था। जीवन-विकास का मंत्र : आत्मविश्वास तनाव-मुक्ति के लिए प्रसन्नता और उत्साह का ही मित्र बनता है हमारा आत्मविश्वास'। यह तो जीवन में वही काम करता है जो कार या बस को चलाने में पैट्रोल या डीजल करता है। शरीर में जितना रक्त का महत्व है उतना ही महत्व जीवन में आत्मविश्वास का है। एक मैदान में दो खिलाड़ी उतरते हैं। एक हारता है और एक जीतता है। इसमें अगर सबसे बड़ा कारण है तो दो में से एक का आत्मविश्वास ही है। यह जीवन का वह पुख्ता सहारा है जिससे हम बड़ी-से-बड़ी सफलता को आत्मसात् करते हैं और हर बाधा को लांघ सकते हैं। _जन्म से मूक, बधिर और नेत्रहीन हेलन केलर अगर दुनिया की महान् नारी बनी तो उसके मूल में उसका आत्मविश्वास ही था। हजारों बार प्रयोग करने के बाद दुनिया की रातों को रोशन करने के लिए बल्ब की रोशनी का आविष्कार करने का श्रेय अगर अल्वा एडिसन को जाता है तो उसके पीछे उनका आत्मविश्वास ही काम करता है। इसी आत्मविश्वास ने कोलम्बस से नई दुनिया की खोज करवा ली थी। इसी आत्मविश्वास ने सिंकदर को विश्व-विजयी बनाया था। दुनिया के हर महान् व्यक्ति के जीवन-विकास में आत्मविश्वास ने मंत्र का काम किया है। व्यस्त रहें, मस्त रहें एक और उपाय किया जा सकता है तनाव-मुक्ति के लिए वह यह है कि कार्य से प्यार करें। हर समय व्यस्त रहो, हर हाल में मस्त रहो- यही तनाव-मुक्ति की रामबाण दवा है। मुझे नहीं मालूम कि शैतान का घर किस पाताल-लोक में होता है पर यह अनुभव की बात है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है, अगर आपके जीवन में कोई बड़ी दुर्घटना घटित हो गयी है, पति-पत्नी या पुत्र की मृत्यु भी हो गयी है तो भी आप इस सदमें से उभर सकते हैं अगर आप अपने आपको किसी श्रेष्ठ कर्मयोग से जोड़ लें। एक महानुभाव को मैं जानता हूँ जिनके पत्नी और बेटी की हत्या हो गयी, घर में डकैती हो गयी। लेकिन उन्होंने दूसरी शादी करने की बजाय 'होनी' को ही स्वीकार किया और किसी प्रकार के अवसाद या तनाव से कुंठित होने की बजाय कुछ ही दिनों में स्वयं को सामाजिक कल्याण की गतिविधियों से जोड़ लिया जिसके परिणामस्वरूप वे जीवन के सबसे बड़े सदमे से सहज ही उबर गये। जीवन का महान योग : कर्मयोग जीवन में किसी भी कार्य को तन्मयता से करें और उसे बोझ समझने की बजाय योग समझें। अगर आप लगनपूर्वक किसी भी कार्य को सम्पादित करते हैं तो आप उस कार्य को शीघ्रता से तो पूर्ण कर ही लेते हैं, साथ ही साथ अनावश्यक मानसिक खिंचाव से भी बच जाते हैं । अगर तुम झाड़ भी निकालो तो इतनी लगनपूर्वक कि उधर से स्वर्ग के देवता भी अगर गुजर जाएँ तो तुम्हारी पीठ थपथपायें और कह पड़ें कि क्या बेहतर सफाई की है। इससे जुड़ा हुआ ही एक और बिन्दु है, एक वक्त में एक ही काम करें। यह भी कर दूँ, और वह भी कर 31 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003861
Book TitleJine ki Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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