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खड़े होना पड़ता है, जैसा खाना मिले खाने के लिए मजबूर होते हैं । तब वे आत्मनिर्भर होना शुरू होते हैं। जब उन्हें ग्राउण्ड मिलता है तब वे अपने विकास के लिए समर्थ होते है। हाँ, अपने बच्चों को व्यावहारिक शिक्षा भी दें। अकेले ही सब्जी खरीदने न जाएं । अपने बच्चे को भी साथ ले जाएं ताकि वह समझ सके कि कौनसे फल या सब्जी काम के हैं या अच्छे हैं, ताकि बड़े होने पर आपके बच्चे औरों के सामने केवल यह न कहते रहें कि हमारे पिताजी बहुत अच्छी कच्ची-कच्ची भिंडी लाते थे, या क्या मटर लाते थे छांट-छांटकर, अपितु वे स्वयं भी उतनी ही अच्छी सब्जियां ला सकें। अपने बच्चे को जीवन की पाठशाला की डिग्रियां भी जरूर दीजिए। जब वह इस प्रकार की छोटी-छोटी चीजों के साथ वाकिफ होता रहेगा तो शिक्षा की डिग्रियों के साथ जीवन की व्यावहारिक पाठशाला की डिग्रियां भी अर्जित कर लेगा।
बच्चों और अभिभावकों के बीच संबंधों की चर्चा के बाद हम पति-पत्नी के रिश्ते पर बात करते हैं। यह एक नाजुक रिश्ता है। जब पति-पत्नी के बीच तालमेल नहीं होता है तो अग्नि की साक्षी में लिए गए फेरे मुश्किल में पड़ जाते हैं और घर घुटन, तनाव, अवसाद से घिरकर नरक बन जाता है । जानें, उनके बीच कैसा तालमेल हो, कैसे निभाएं यह रिश्ता? चयन जीवन-साथी का ___मेरा पहला संकेत है कि जीवन साथी बहुत सावधानी से चुनें। आपके अधिकांश सुख और दुःख केवल एक चयन से जुड़े हुए हैं । केवल रंग-रूप देखकर जीवन-साथी न चुन लें। गोरा रंग केवल दो दिन अच्छा लगता है और ज्यादा पैसा दो महीने अच्छा लगता है, लेकिन जीवन न तो केवल रंग के साथ और न केवल धन के साथ जिया जाता है । जीवन तो आखिर जीवन के साथ जिया जाता है। इसलिए जब आप जीवन साथी का चयन करें तब बारीकी से ध्यान रखें। उसका स्वभाव कैसा है, उसका व्यवहार, सोच, जीवन-शैली कैसी है, क्योंकि आपके जीवन के ज्यादातर सुख और दुःख आपके जीवन साथी से जुड़े हुए हैं।
पत्नी को अपना समय भी दें। केवल उसे पहनने के लिए कीमती सोने की चूड़ियाँ और वस्त्र ही न दें अपना कीमती समय भी उसे दें क्योंकि वह आपसे थोड़ा समय भी चाहती है। आप ऑफिस से घर पहुंचे और देखा कि पत्नी सोई है, क्योंकि उसके सिर में भयंकर दर्द हो रहा है। आप उसके पास गए और उसके सिर पर हाथ रखा और कहा - यह क्या हो गया, चलो तुम्हें डॉक्टर के पास ले चलूं डॉक्टर को दिखा लाता हूं। पत्नी की आँख में आँसू आ जाते हैं। तुम परेशान हो जाते हो कि मैं तो इसके डॉक्टर के पास ले जा रहा हूं और यह तो रोने लग गई है।आँसू इसलिए आए कि तुमने प्रेमभरा हाथ उसके माथे पर रखा उसने महसूस किया कि मेरे पति के पास मेरे लिए समय भी है। पत्नी अर्धांगिनी है, गुलाम नहीं
तुम्हारा समय धन कमाने में, दोस्तों, परिचितों में चला जाता है, अपनी पत्नी को भी समय देना सीखिए । आपका समय आपकी पत्नी के लिए सबसे बड़ा उपहार है। वह आपसे समय चाहती है, उसकी उपेक्षा न करें। न ही उसे अपने अहंकार का पोषण करने का माध्यम ही बनाएं। अपने क्रोध को प्रकट करने का पात्र भी उसे न
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