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कि जरा बच्चे का भी ध्यान रखें, पर फुर्सत कहाँ। अब वह लड़का सत्रह वर्ष का हो गया है। एक दिन माँ मेरे पास आई, रोने लगी वह, बहुत दुःखी थी, बता रही थी कि एक दिन मैंने बच्चे को किसी बात पर कह दिया कि ज्यादा शैतानी की तो चाँटा मार दूंगी तो उसने पलटकर जवाब दिया – अगर तू मुझे चाँटा मार सकती है तो भगवान ने मुझे भी हाथ दिए हैं। माँ तो अपने बेटे की यह बात सुनकर ही अवाक रह गयी। उसकी आँखों में आँसू के अलावा कुछ नहीं था कि अब ये दिन भी देखने पड़ रहे हैं। बच्चों को दीजिए संस्कार की पूंजी
ऐसा तभी होता है जब हम कुछ ज्यादा ही लाड-प्यार में बच्चों को रखते हैं और दूसरा उन्हें टोकने का हौंसला नहीं रखते । इसलिए मैंने पहले ही कहा कि अपने बच्चे को संघर्ष, आत्मविश्वास और परिश्रम का च्यवनप्राश खिलाइये।
वे माता-पिता सामान्य होते हैं जो बच्चे को जन्म देते हैं और उन्हें उनकी तक़दीर पर छोड़ देते है कि भगवान उन्हें जैसा चाहे, वैसा पाले। वे माता-पिता मध्यम होते हैं जो बच्चे को जन्म देकर बहुत सारा धन देते हैं। उनके नाम जमीन-जायदाद, मकान-सम्पत्ति आदि छोड़ जाते हैं । श्रेष्ठ और उत्तम प्रकृति के माता-पिता वे होते हैं जो अपने बच्चे को सुसंस्कार की पूंजी दिया करते हैं। वे जीवन का पाठ पढ़ाते हैं, जीवन के नैतिक संदेश देते हैं जिनके चलते वह अपने जीवन का चहुंमुखी विकास करने में सक्षम व समर्थ होता है।
दो चार फूलों के खिलने से बाग उपवन नहीं होता, वह उपवन तब होता है जब वहाँ कई तरह के फूल खिले होते हैं। अगर आप परिवार में कई सदस्य हैं तो ये अलग-अलग तरह के खिले हुए फूल हैं और इन फूलों से हम अपने घर, जीवन और परिवार के उपवन में खुशहाली और स्वर्ग को संजो सकते हैं। जीवन-विकास के लिए दीजिए धरातल
अन्तिम बात जो बच्चों के संबंध में कहना चाहूंगा कि आप अपनी ओर से बच्चों को विकास का मौका दें। यह न सोचें कि बच्चा है, अभी पढ़ने दो। जैसे ही बच्चा सोलह वर्ष की उम्र पार करे, उसे पढ़ाई के साथ अपने बिजनेस से जोड़ने की कोशिश करें। ईश्वर ऐसा न करे, लेकिन यह भी हो सकता है कि आपका बच्चा पढ़ाई पूरी करे, उससे पहले आपके साथ कुछ अनहोनी हो जाए तो आप उसे अपने ऑफिस, दुकान, व्यवसाय से जरूर जोड़ें ताकि शिक्षा के साथ वह व्यवसाय में भी पारंगत होना शुरू हो जाए। आप उसे जीवन-विकास के लिए ज़मीन दें। अगर आप उसे छोटा कैनवास देंगे तो वह वहीं तक सीमित रहेगा, लेकिन बड़ा कैनवास देंगे तो वह
वन में उतना ही बडा चित्र उकेरने में सफल और सक्षम होगा। अगर पस्तक को पढना है तो उसे आँख से थोड़ा दूर रखना होता है। अधिक पास रखने से आँख खराब हो सकती है, वैसे ही बच्चे का भविष्य संवारना है तो उसे भी आँख से दूर रखने की हिम्मत जुटाइये। जब वह आँख से दूर होगा तो आत्मनिर्भर होगा। ___मैंने देखा है कि बच्चे घर में माँ से कहते हैं मुझे यह सब्जी नहीं सुहाती, मुझे यह अच्छा नहीं लगता, वह अच्छा नहीं लगता, आज ये बनाओ। माँ खाने का आग्रह करती है और बच्चे ना-नुकुर करते रहते हैं पर वही बच्चे जब हॉस्टल में चले जाते हैं तब उसी सब्जी के लिए लाइन में लगना पड़ता है, गर्म पानी के लिए लाइन में
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