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________________ एक बात और, सड़क चलते खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। राह के किनारे खड़े चाट-पकौड़ों के ठेले से वस्तुएं लेकर खाते लोगों को देखा करता हूँ। चले जा रहे हैं सड़क पर कि ठेला दिखाई दिया और खड़े हो गए । हाथ धोए नहीं, घर से चले थे जब जूते बांधे थे, गाड़ी चला रहे थे तो धूल-गंदगी हाथों पर आ गई, लेकिन लिया दोना और झट से खाना शुरू कर दिया। विवेक रखें, खानपान में विवेक रखें। शालीनता हो खाने-पीने में, उठनेबैठने में। जो भी काम आप कर रहे हैं, हर उस काम के साथ शालीनता जुड़ी रहे । आएँ औरों क एक अन्य बात जो जीवन में जीने जैसी है वह है- वक्त-बेवक्त औरों के काम आना सीखें। जिंदगी में कभी किसी का समय एक जैसा नहीं रहता है, न मेरा और न ही आपका। अगर मैं अहंकार करूं कि मुझे सुनने के लिए हजारों लोग आते हैं - पर पता नहीं है कि मेरा कल क्या होगा। आज मुझे सुनने के लिए लोग तड़पते हैं - यह सोचकर अहंकार न करें बल्कि यह सोचकर विनम्र रहें कि भगवान ने जब तक यह ज़बान दी है तब तक है, दुनिया में कई लोग हैं जिनकी ज़बान को लकवा हो गया और उनकी बोलती बंद हो गई। कब तक किसकी चली है। अगर कोई ऊपर बैठा है तो ऊपर नहीं हो जाता और जो नीचे बैठा है वह नीचे नहीं हो जाता। कौन बड़ा कौन छोटा, किस बात का अहंकार । हर व्यक्ति समय का गुलाम है वह जीवन में घटने वाली घटनाओं के सामने मजबूर होता है। बड़े से बड़ा और महान से महान व्यक्ति भी परिस्थितियों का दास होता है। इसलिए आज अगर आपका वक्त अच्छा है तो उन लोगों के काम आएँ जिनका वक्त बिगड़ा हुआ है, क्योंकि पता नहीं कल को आपका वक्त कैसा हो। आप कार से जा रहे हैं और आपकी कार खाली है तो किसी बुजुर्ग के लिए मददगार बनिए। चौराहे से जा रहे हों तो बीच चौराहे पर गाड़ी रोककर खड़े न हो जाए। कल ही मैं मंदिर जा रहा था तो देखा कि बीच चौराहे पर केले का ठेलेवाला खड़ा है और आते-जाते लोग अपनी गाड़ियाँ रोककर केले खरीद रहे हैं। मंदिर में आने-जाने वालों को दुविधा हो रही थी। ऐसा न करें । अपनी सुविधा के लिए औरों को दुविधा देना दोष है। कब, कहाँ, कैसे नियमों का पालन किया जाए, इसका ध्यान रखें । सड़क पर जाते हुए अगर कोई घायल व्यक्ति मिल जाए तो यह न सोचें कि पुलिस के लफड़े में कौन पड़े। पुलिस के लफड़े से बचना भी चाहें तो जरूरी नहीं कि बच ही जायें कोई दूसरा निमित्त आपको फंसा सकता है। घायल व्यक्ति को देखकर नज़रअंदाज न करें, अन्यथा ऐसा कर आप अपने भविष्य को बिगाड़ रहे हैं। हो सकता है कल को आप सड़क पर घायल पड़े हों और कोई उठाने वाला न हो। मैं तो कहूंगा कि घायल जानवर या कोई पक्षी भी दिख जाए तो उसके मुंह में भी दो घूंट पानी डाल दें। अगर आप और कुछ नहीं कर सकते तो नवकार मंत्र या गायत्री मंत्र का श्रवण करा दें, उसे ईश्वर की शरण दिला दें। हो सकता है मरते समय आपके द्वारा दिया गया धर्ममंत्र का पाठ फिर से किसी धरणेन्द्र और पद्मावती को पैदा करने का सौभाग्य दिला सके । मदद करें, अहसान नहीं आप अपने पुत्र को व्यवसाय के लिए पांच लाख रुपये दे सकते हैं तो क्या अपने भाई को, चाहे वह Jain Education International 167 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003861
Book TitleJine ki Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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