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नेल्सन मंडेला के नाम से हम सभी परिचित हैं जिन्होंने अपने जीवन के सत्ताईस साल जेल में बिताए, पर वे ही नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित हुए और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति भी बने। जिस कार्ल मार्क्स के पास अपने बेटे के कफ़न के लिए भी पैसे नहीं थे, उसी ने आगे जाकर दुनिया को साम्यवाद का पाठ पढ़ाया। यानी इंसान अपनी आंतरिक शक्ति को प्राप्त कर ले तो वह कामयाबी की नई इबारत लिख सकता है। आप अभाव को अभाव न समझें। हर अभाव हमें प्रकृति के घर से हमारी कसौटी के लिए मिला करता है। जो अभाव के क्षणों में भी अपने मन को मज़बूत बनाए रखते हैं, अपने विश्वासों को टूटने नहीं देते ऐसे लोग ही जीवन में कुछ कर गुज़रने में सफल हुआ करते हैं।
एक स्त्री को मालूम हुआ कि उसका भाई संत होना चाहता है,इसलिए वह अपनी संपत्ति की व्यवस्था करने में लगा हुआ है। उसने बड़े चिंता के स्वर में अपने पति को अपने भाई का हाल सनाया। पति बोला, 'फ़िक्र मत करो, तुम्हारा भाई संन्यास नहीं लेगा।' पत्नी बोली, 'आप मझे यह पीडा सताए जा रही है कि उसके चले जाने के बाद उसकी गृहस्थी का क्या होगा?' पति बोला, 'भई! त्याग-विराग की लम्बी तैयारी नहीं करनी पड़ती, वह तो सहज और एकदम होता है। देखो, इस तरह – ' यह कहते हुए वह सब कुछ छोड़कर सीधा वन को चला गया।
यह है कुछ कर गुज़रने का जज़्बा। जिन्हें कुछ करना होता है, वे सदा कुछ-न-कुछ करने को तत्पर रहते हैं। कुछ न करना हो तो बैठे-बैठे मक्खियाँ उड़ाते रहो।
अपनी जिंदगी में अपने आप पर भरोसा करना सीखें, ईश्वर और प्रकृति की व्यवस्थाओं पर आस्था रखें। पहली भक्ति, पहला विश्वास हमारा अपने आप के प्रति हो। अपने आप पर भरोसा करना ही आत्मविश्वास कहलाता है।
मनोबल तो आत्मविश्वास और हिम्मत पर ही टिकता है। हिम्मत है तो सब कुछ है। हिम्मत हार गए तो जीवन का जहाज़ वहीं डूब गया समझो। जो इंसान किसी एक इंसान के आगे हिम्मत हार जाता है वह किसी शैतान या यमराज का सामना करने में कैसे सफल हो सकेगा? हिम्मत टूटी कि बात बिगड़ गई।
कहते हैं कि एक छोटे ट्रक पर दूध के केन चढ़ाए जा रहे थे। दूध वाले को दूध में पानी मिलाना था इसलिए दूध वाले ने केन के ढक्कन खोले। पानी लेने के लिए वह इधर-उधर गया कि तभी पास में बैठे दो मेंढ़कों को न जाने क्या सूझी कि वे ढक्कन पर आकर बैठ गए। एक-एक ढक्कन में एक-एक मेंढ़क चला गया। दूध वाला आया, उसने पानी मिलाया और झट से ढक्कन बन्द कर दिए। दोनों मेंढ़क दूध के केन में चले गए। ट्रक रवाना हो गया। एक केन का मेंढ़क केन में इधर से उधर, उधर से इधर गोते खाने लगा। वह बड़बड़ाता जा रहा था कि बुरा फँस गया। नीचे जाए तो दूध,
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