________________
यह है अच्छी मानसिकता । इसका प्रभाव अवश्य पड़ेगा। अच्छे विचार ही अच्छे व्यवहार को जन्म देते हैं। विचारों को, मानसिकता को बेहतर बनाने का सीधा-सरल गुर है – मुस्कुराइए। जो गुस्सैल प्रकृति के हैं, वे तो मुस्कुराने को अपनी आदत बना लें। उनके जीवन से गुस्सा, खीझ, चिड़चिड़ापन स्वतः दूर हो । वे तो यह फ़ार्मूला ही बना लें : हर समय व्यस्त रहें, हर हाल मस्त रहें। जब, जहाँ, जो होना है, हो, अपने तो फ़ैसला कर लें कि मैं हर हाल में मस्त रहूँगा ।
हाँ, जरा मुस्कुराए तो । हाँ ऐसे ही। इस समय भी, हर समय ही । मुस्कुराता हुआ मन ही कह सकेगा'क्या स्वाद है ज़िदगी का ! कितना आनन्द है जीवन को जीने का ! जिएँ चाहे दस साल या दस दिन, पर जीवन का हर दिन मुस्कुराता हुआ अवश्य हो । हानि-लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश चाहे जैसे हालात बनें, पर यदि हम हर स्थिति को प्रकृति की व्यवस्था भर समझेंगे तो अपन गुलाब के फूल की तरह हँसते-मुस्कुराते, खिलखिलाते हुए जिएँगे । यदि कोई आप से पूछे कि कैसे हो? तो एक ही जवाब देना, ‘भाई, गुलाब के फूल से मत पूछो कि कैसे हो ?' गुलाब का फूल तो जब तक रहेगा तब तक खुश ही रहेगा, खिलखिलाता हुआ । वह डाल पर है तब भी ख़ुश और टूटकर किसी शव पर, किसी हृदय पर, किसी मंदिर की चौखट पर गिरा है तब भी ख़ुश। ख़ुशबू भरा। तुम अगर गुलाब बन जाओ तो कांटो की बिसात ही क्या है ? तुम गुलाब नहीं बन पाये तभी कांटे प्रभावित करते हैं, बिछते हैं और हमें छलनी करते हैं । निश्चय ही अगर तुम गुलाब को देखकर ख़ुद गुलाब हो जाते हो, तो तुम जीवन को जीत गए, बेहतर ढंग से जी गए।
LIFE
68
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org