SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अगले दिन वह आया और मैंने उसका सिक्का वापस लौटा दिया। एक महीने बाद जब वह वापस आया तो कहने लगा - ' 'महाराज, आपने ग़ज़ब का मंत्र कर दिया है। 'नाख़ुशी' वाला पहलू आज तक कभी उभरकर ही नहीं आया। जब भी सिक्का उछालता हूँ, 'ख़ुशी' वाला पहलू ही आता है । मैंने उसे बताया, 'महानुभाव, मैंने इसमें इतना ही मंत्र किया है कि जहाँ पहले 'ना' लिखा था, उसे हटा दिया है। अब दोनों ओर 'ख़ुशी ' है । इधर उछले तो भी ख़ुशी और उधर उछले तो भी ख़ुशी । अपना तो जीवन का मंत्र ही यही है कि हर हाल में मस्त रहें, मुस्कुराते रहें । कोई फूलों की माला पहनाये या जूतों की, अपन तो मस्त ही रहेंगे। फूलों की माला पहनकर तो हर कोई मुस्कुरा लेता है, लेकिन मुस्कान की कसौटी तभी होती है, जब सम्मान की बजाय अपमान झेलने को मिलता है। सुभाषचंद्र बोस के ऊपर जब जूता फेंका गया तो उन्होंने मंच पर से कहा था - 'वह महानुभाव कौन है जिसने एक जूता फेंका है ? हो सके तो वह दूसरा जूता भी फैंक दे क्योंकि आज मेरे जूते चोरी हो गए हैं।' यदि विपरीत वातावरण बन जाने पर यदि आप अपनी सहजता और मुस्कान को जीवित रखते हैं तो समझना कि आप मानसिक रूप से, आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ हैं, ख़ुशहाल हैं। धन आ जाए तब भी सहज, चला जाए तब भी सहज, बहुत ज़्यादा आ आए तब भी गुमान मत करो, चला भी जाए तो गिला - शिकायत मत पालो । हम ही कमाते हैं, हम ही खोते हैं । कोई पल ऐसा आता है जो हमें ठंडी हवा दे जाता है तो कोई दूसरा पल हमारे लिए गरम लू का झौंका बन जाता है। कभी पहिये का ऊपर का हिस्सा नीचे आ जाता है तो कभी नीचे का हिस्सा ऊपर चला आता है। जीवन में ऐसा होता ही रहता है । - एक व्यक्ति को अपने पैसे का बहुत गुमान हो गया। जब भी आता तो कहता - मेरी कोठी, मेरा बंगला, मेरी कॉलोनी, वाह ! क्या बात है ! एक दिन वे महानुभाव हमारे पास आए और लगे अपनी हाँकने । हम सुनते रहे। बीस मिनिट हो गए, पर उनकी ऊँची-ऊँची बातें बंद न हुईं। हमें भी मज़ाक सूझी। हमने कहा, ‘जनाब ! क्या आप एक काम करेंगे ? कल आप फिर आइएगा।' बोले, 'ज़रूर आऊँगा' । हमने कहा – 'हाँ, जब आप आएँ तो विश्व का मानचित्र या ग्लोब ज़रूर लेते आइएगा'। बोले, 'ठीक है महाराज साहब', और वे चले गए । दूसरे दिन जब वह ग्लोब लेकर आ गए तो हमने कहा, 'अच्छा, यह है विश्व का नक्शा ! बताइए, इसमें एशिया कहाँ है'? उन्होंने एक स्थान पर अँगुली रखकर कहा, 'यह रहा । ' हमने पूछा, 'इसमें भारत कहाँ है' ? उन्होंने कहा – 'यह जो छोटा-सा भाग है, यही भारत है।' हमने फिर पूछा- 'इसमें राजस्थान कहाँ है ?' बोले, 'यह बताना तो बड़ा मुश्किल है, पर जरा-सी जगह पर बताया कि, 'यह राजस्थान है । ' हमने फिर कहा, ‘इसमें जोधपुर कहाँ है ?' वे चौंके बोले - - - • महाराज, आप भी कैसी बात करते हैं ? विश्व के मानचित्र में जोधपुर का कहाँ पता लगेगा ? हमने कहा, 'जब विश्व के मानचित्र में जोधपुर का भी कहीं LIFE 64 Jain Education International For Personal & Private Use Only - www.jainelibrary.org
SR No.003860
Book TitleLife ho to Aisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy