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________________ और संयम की परीक्षा तभी होती है जब वातावरण विपरीत होता है। विपरीत वातावरण में जो लोग स्वयं पर संयम रखने में सफल हो जाते हैं, वे ही अपने मानसिक स्वास्थ्य, शांति और आनन्द को सदा बनाए रखने में सफल हो सकते हैं। सुख, दुःख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वो गाँव। __ कभी धूप तो कभी छाँव॥ भले भी दिन आते, जगत में बुरे भी दिन आते। कड़वे-मीठे फल, कर्म के यहां सभी पाते। कभी सीधे कभी उलटे पड़ते अजब समय के पाँव। __ कभी धूप तो कभी छाँव॥ क्या खुशियां क्या ग़म, ये सब मिलते बारी-बारी। मालिक की मर्जी से चलती यह दुनिया सारी। ध्यान से खेना जग-नदिया में, बंदे अपनी नाव। कभी धूप तो कभी छाँव ॥ अपने जीवन में फैसला कर लें कि आपको धूप में रहना है या छाँव में। धूप में भी चलो तो एक ऐसा छाता ज़रूर अपने पास रखें जो आपको छाँव का अहसास देता रहे। एक सिक्के के दो पहलू होते हैं – ऐसे ही जीवन में कितने ही पहलू होते हैं, लेकिन हम तो अपने जीवन में ऐसी मुस्कान खिला लें कि चाहे जो पहलू खुले, हम तो प्रसन्नचित्त और शांत ही बने रहें । अपनी जेब में ऐसा सिक्का रखें जिसके दोनों ओर ख़ुशी ही ख़ुशी ख़ुदी हुई हो। वह चित गिरे या पुट, ख़ुशी ही मिले।मुस्कुराहट हमसे दूर नहीं जानी चाहिए। मेरे पास एक व्यक्ति आया जो अपनी जेब में एक सिक्का रखता था। उसके एक ओर ख़ुशी खुदी हुई थी और दूसरी ओर नाख़ुशी लिखी हुई थी। वह सुबह उठकर सिक्का उछालता, हाथ में लेता, खोलकर देखता – 'खुशी'। वह खुश हो जाता कि आज तो मेरा दिन बहुत अच्छा बीतेगा। कभी नाख़ुशी वाला हिस्सा खुल जाता तो वह उदास हो जाता, अपने भाग्य को कोसने लगता, पता नहीं आज का दिन कैसे बीतेगा? बहुत सावधानी से जीना पड़ेगा। मेरे पास आकर जब उसने यह कहानी सुनाई और बताया कि जब 'खुशी' आ जाती है तो बहुत खुश हो जाता हूँ। मेरी आदत ही ऐसी पड़ गई है कि जिस दिन 'नाख़ुशी' वाला पहलू आ जाए तो मेरा पूरा दिन बेकार हो जाता है । मैंने उससे कहा – 'ऐसा है तो लाओ, अपना सिक्का मुझे दे दो। कल आकर ले जाना, मैं इस पर थोड़ा मंत्र कर दूंगा'। CITEE Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003860
Book TitleLife ho to Aisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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