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आयुष्य आधा कर दें'। मुस्कुराकर भगवान बोले – 'तथास्तु' । गधा पच्चीस वर्ष की आयु लेकर धरती पर आ गया।
दूसरा खिलौना जो भगवान ने उठाया उसे हम आज की भाषा में कुत्ता' कहते हैं। भगवान ने कहा – 'तुझे मैं काम न करने की छूट देता हूँ। जिस गली-मोहल्ले में रहने की तेरी इच्छा हो, वहीं का शेर बन जाना। तुझे कुछ भी करना-धरना नहीं है। मैं तुझे चालीस वर्ष की उम्र देता हूँ'। कुत्ते ने कहा – 'प्रभु, इधर-उधर बेकार ही भागते-दौड़ते मैं थक जाऊँगा, कृपाकर मेरी उम्र भी आधी कर दीजिए'। और तब कुत्ता बीस साल की उम्र लेकर धरती पर आ गया।
__ भगवान ने जो तीसरा खिलौना उठाया उसे हम आज की भाषा में 'बंदर' कहते हैं। उसमें प्राण फूंकते हुए भगवान ने कहा - 'तुझे गलियों में रहने की ज़रूरत नहीं है। तू आज़ादी से जंगलों में वृक्षों पर इधर से उधर कूदते-डोलते रहना। तुम्हें मैं तीस वर्ष की ज़िंदगी देता हूँ।' बंदर ने भी कहा – 'भगवान, मैं तो डोलते-डोलते ही थक जाऊँगा। प्रभु, मेरी आयु भी आधी कर दी जाए।' बंदर भी आधी उम्र लेकर धरती पर आ गया।
अंतिम खिलौना जिसमें प्राण फूंककर भगवान ने जीवंत किया उसे हम अपनी भाषा में 'इन्सान' कहते हैं। भगवान ने उससे कहा - 'इन्सान, मैंने अपने जीवन के अच्छे से अच्छे पदार्थों और परमाणुओं का उपयोग करके तुम्हारा निर्माण किया है। मैं तुम्हें दिल भी देता हूँ, बुद्धि भी देता हूँ, आने-जाने के लिए पाँव भी देता हूँ
और कमाने के लिए हाथ भी देता हूँ और तुम्हें सर्वगुणों की खान बनाकर पृथ्वी पर भेजता हूँ। मैं तुम्हें पच्चीस वर्ष का आयुष्य प्रदान करता हूँ।' इन्सान ने भगवान के चरणों में गिड़गिड़ाते हुए कहा – 'भगवन्, आपकी लीला अजब है। आपने इतनी सारी चीजें मुझे सौगात के रूप में दीं, पर उम्र केवल पच्चीस साल ! तब मैं इस दिल, बुद्धि का क्या उपयोग करूँगा?हाथ और पाँव से भी मेहनत करके क्या करूँगा?' भगवान ने कहा- 'अब तू चाहे जो कर, मेरे पास उम्र का जितना कोटा' था वह पूरा हो गया।अब कोटे में टोटा है।'
भगवान ने इन्सान को बुद्धि दे डाली थी। उसने तुरंत ही बुद्धि का उपयोग किया और कहा - 'भगवन्, आपके कोटे में टोटा है तो क्या हुआ, जो-जो उम्र अभी-अभी धरती पर गये हुए गधे, कुत्ते और बंदर ने आधी करवाई है, वही सब आप मुझे क्यों नहीं प्रदान कर देते।' भगवान मुस्कुरा दिये और 'तथास्तु' कह दिया।
___ भगवान से आशीर्वाद पाकर इन्सान धरती पर आ गया। पच्चीस साल की ज़िंदगी तो वह इन्सान की तरह जीता है। उसके बाद उसकी आयु गधे के समान शुरू होती है। वह घर से दुकान और दुकान से घर, घर से दफ्तर और दफ्तर से घर यानी गधे की तरह घर से घाट और घाट से घर के बीच धक्के खाता रहता है। यहीं पर ही उसकी मुक्ति नहीं होती। आगे चलकर उसकी आयु कुत्ते जैसी शुरू हो जाती है - बहू-बेटों ने जो
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