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राजकुमार ने कुछ सोचा और शांतिपूर्वक महलों में चला गया। उसे समझ आ गई कि क्रोध का कारण मौजूद होने पर भी जो शांत रह सकता है, वही सच्चा वीर है। हम सब लोग अपनी वीरता को पहचानें और शांति-पथ के पुजारी बनें। मेरी समझ से आज के बाद आप अपने क्रोध को अपने काबू में रखेंगे, क्रोध पर संयम रखेंगे। जीवन में, वाणी में, व्यवहार में मिठास घोलेंगे। दुनिया में शिव-शंकर वही कहलाते हैं, जो दूसरों के हिस्से का ज़हर ख़ुद पी जाया करते हैं और बदले में लोगों को अपनी दिव्यता और मिठास लौटाया करते हैं। आज से हम लोगों को फूलों के गुलदस्ते नहीं, अपनी मिठास के गुलदस्ते भेंट करेंगे।
LIFE
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