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बात याद आ जाती और चौबीस घंटे बाद वह भूल ही जाता कि उसे क्रोध किस बात पर करना है ।
मैं भी आपसे यही कहता हूँ कि अगर किसी से ग़लती हो जाए तो पहली बार उसकी उपेक्षा कर दो, दूसरी बार ध्यान दो और तीसरी दफ़ा उसे प्यार से समझाओ फिर भी वह अपनी ग़लतियाँ दोहराता चला जाए तो... ? फिर भले ही उसके टिका दो। भगवान कृष्ण ने तो शिशुपाल की निन्यानवें ग़लतियाँ माफ़ कर दी थीं । हम कम-से-कम किसी की नौ या तीन ग़लतियाँ तो माफ़ कर सकते हैं न् ।
मेरी समझ से जो व्यक्ति अपने गुस्से को काबू में रखता है वही यथार्थ में लौकिक और अलौकिक दोनों प्रकार के स्वर्ग का अधिकारी होता है। आप समता में रहने वाले लोग हैं। रोज़ एक घंटा मौन की सामायिक करें। रोज़ाना एक घंटा मौन का व्रत रखें। वैसे भी हर आदमी को एक महीने में एक दिन तो व्रत करना ही चाहिए और व्रत यह कि अमुक दिन या अमुक वार को मैं गुस्सा नहीं करूँगा, मैं किसी तरह की उग्र प्रतिक्रिया नहीं करूँगा । घटना चाहे जैसी हो जाए, पर मेरे आज क्रोध का व्रत है, क्रोध का उपवास है । जैसे लोग आहार न लेने का उपवास करते हैं, आप क्रोध न करने का उपवास कर लीजिए। आप यह व्रत लगातार तीन दिन का भी कर सकते हैं। आपको 'तेले' का लाभ मिल जाएगा। आठ दिन भी कर सकते हैं, आपके 'अठाई' हो जाएगी। महीने भर का अगर आप यह संकल्प लेते हैं तो आपके 'मासक्षमण' हो गया । कितना सरल तप है यह ! खाते-पीते हुए भी आप तपस्वी । तपस्वी इस रूप में कि आपने गुस्सा नहीं किया। बाकी तो भूखा रहने वाले तपस्वियों को गुस्सा जल्दी आ जाता है। आप तो गुस्सा छोड़िए, सुख से जीवन का आनंद लीजिए ।
क्रोध-मुक्ति का एक और मंत्र लीजिए : क्रोध का वातावरण बनने पर उस स्थान से अलग हो जाएँ । कमरे में आ जाएँ, कुछ अच्छा-सा संगीत सुन लें, नहीं तो सफाई कर लें मतलब कि अपना ध्यान बँटा दें। अगर ऐसा नहीं कर सकते यानी कि वहाँ से हटना मुमकिन नहीं है तो ठंडा पानी पी लें। जब दूध में उफान आता है तो पानी के छींटे डालकर उफान को रोक देते हैं या गैस बंद कर देते हैं। ठीक इसी तरह क्रोध का तापमान कम करने के लिए ठंडा पानी पी लीजिए, वह भी ठंडा हो जाएगा। आप ठंडा होकर देखिए तो सही, अगला ठंडा बर्फ़ हो जाएगा।
एक बात और यदि हमारे कारण यदि किसी को गुस्सा आ जाए तो 'सॉरी' कहना न भूलें। जरा भी देर न लगाएँ, तुरन्त 'सॉरी' कह दें। सॉरी शब्द बड़ा पावरफुल है। अगले के टेम्परेचर को एक ही क्षण में 'फिफ्टी परसेंट' कर देता है। जीवन में तीन शब्द • प्लीज़, थैंक यू और सॉरी • सदा इस्तेमाल कीजिए। आप जितनी बार प्लीज़ कहेंगे सामने वाला उतना ही प्लीज़्ड होगा, धन्यवाद देते ही वह कृतज्ञ हो जाएगा और सॉरी कहने से क्रोध के वातावरण में तत्काल नमी का संचार हो जाएगा ।
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ग़लती होने पर गुस्सा न आने दें क्योंकि कर्ज़ को, घाव को और आग को बढ़ने मत दो और गुस्से को
LIFE
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