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________________ उसने उठाया पत्थर और चला उस घर की ओर जहाँ से पत्थर आया था कि अभी जाकर ख़बर लेता हूँ, पर वहाँ जाकर देखा कि एक पहलवान गदा-मुद्गर उठाए कसरत कर रहा था। उस व्यक्ति को देखकर उसने कहा, 'ए, क्या है ?' वह व्यक्ति घबराया और कहा, 'कुछ नहीं, आपके घर का पत्थर गिर गया था, लौटाने आया हूँ।' क्रोध कमज़ोर पर आता है। बलवान के आगे झुक जाता है। क्रोध का परिणाम बड़ा घातक होता है। एक बार क्रोध करने से हमारी एक हज़ार ज्ञान-कोशिकाएँ जलकर नष्ट हो जाती हैं। जो बच्चे दिन में दस दफ़ा गुस्सा करते हैं उनकी दस हज़ार ज्ञान-कोशिकाएँ नष्ट हो जाती हैं। इसलिए मेरे बच्चो, सदाबाहर प्रसन्न रहो। सहनशील बनो। शांत रहो। अगर आप चाहते हैं कि आपकी स्मरण-शक्ति प्रखर बनी रहे तो संकल्प लीजिए कि गुस्सा नहीं करेंगे, नहीं करेंगे, नहीं करेंगे। एक तो गुस्से का त्याग कीजिए। दूसरा मन लगाकर पढ़ाई कीजिए, आप निश्चित ही प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होंगे। आप गुस्सा करेंगे तो हृदय कमज़ोर होगा, पाचन-क्रिया बिगड़ेगी, दिमागी क्षमता कमज़ोर होती जाएगी। रक्तचाप असंतुलित होगा, भूख नहीं लगेगी, नींद भी नहीं आएगी। क्रोध का अन्य दुष्परिणाम हैस्वयं पर नियंत्रण समाप्त हो जाता है। क्रोध के कारण आपसी संबंधों में खटास आ जाती है । पलभर का क्रोध पूरा भविष्य बिगाड़ सकता है । क्रोध के कारण केरियर भी प्रभावित होता है। जो क्रोध नहीं करता वह एक समय भोजन करके भी ऊर्जावान बना रहता है। उसका स्वयं पर नियंत्रण बना रहता है। मैं अनुशासनप्रिय तो हूँ, पर गुस्सा नहीं करता। गुस्सा करना मूर्खता है, जब भी व्यक्ति गुस्सा करता है, मूर्खता को ही दोहराता है। गुस्से में व्यक्ति अपशब्दों का प्रयोग भी करता है। क्रोध आने पर सारी समझदारी एक तरफ हो जाती है और मुँह से गालियाँ झरने लगती हैं। हमारे द्वारा किया गया थोड़ा-सा गुस्सा हमारे मैत्रीपूर्ण संबंधों को समाप्त कर देता है। हम अपने गुस्से को अपने नियंत्रण में रखें । इसीलिए कहता हूँ जो कार्य सुई से हो जाए, उसके लिए तलवार का उपयोग न करें। मेरी एक चर्चित कहानी है - एक एस. पी. महोदय अपने लाव-लश्कर के साथ किसी दंगाग्रस्त क्षेत्र में पहुँचे। मोहल्ले के लोग बहुत गुस्साए हुए थे। उनमें से किसी ने एस. पी. के मुँह पर थूक दिया। यह देखते ही थानेदार ने रिवॉल्वर निकाल ली और उस व्यक्ति पर तान दी। वह गोली चलाने को तत्पर हुआ ही था कि एस.पी. ने कहा, 'ठहरो, क्या तुम्हारे पास रूमाल है ?"हाँ, सर है।''मुझे रूमाल दो।'रूमाल हाथ में आया। एस. पी. ने मुँह पौंछकर रूमाल फेंक दिया और थानेदार से कहा, 'हमेशा याद रखना जो काम रूमाल से निपट जाए उसके लिए रिवॉल्वर चलाना बेवकूफ़ी है।' यही है क्रोध को जीतने का पहला और कारगर फॉर्मूला कि जो काम प्रेम भरे शब्दों से पूरा हो सकता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003860
Book TitleLife ho to Aisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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