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________________ मिल जाए उसमें आनन्द और न मिले तो भी ग़म नहीं। प्राप्त हो जाए तो भी प्रसन्न और प्राप्त न हो तो भी प्रसन्न । जिसमें इस तरह जीने की कला आ गई वही चिंतामुक्त और निश्चित जीवन जी सकता है। सम्मान मिले तो ठीक और कोई अपमान दे दे तो उसे अपने सम्मान की कसौटी समझिये। विपरीत वातावरण में आप अपने चित्त की सहजता को बनाए रखने में सफल हो जाते हैं तो यही आपके जीवन की वास्तविक सफलता है। अगर आप स्वयं को शांत और स्थिर चित्त समझते हैं तो मैं चाहूँगा कि कभी-कभी आपके साथ ऐसा घटित होता रहे जिससे आपकी शांति, समता, सहजता और समरसता की कसौटी होती रहे। ऐसा हआ. एक संत हए भीखणजी। वे प्रवचन कर रहे थे कि भीड में से एक युवक खडा हुआ, उनके पास आया और उनके सिर पर दो-चार ठोले मार दिए। सारे लोग हक्के-बक्के रह गए।युवक को पकड़ लिया और पीटने को उद्यत हो गए। भीखणजी ने कहा – उसे छोड़ दो। लोगों ने कहा – यह आप क्या कह रहे हैं? भीखणजी ने कहा - जो हो गया सो हो गया, आप लोग उसे छोड़ दें। भीड़ ने कहा – 'अरे, इसने आपको पीटा है, हम इसे सबक सिखाकर रहेंगे।' तब उन्होंने कहा – इसने मेरी पिटाई नहीं की थी, यह तो मेरा शिष्य बनने आया था और ठोंक बजाकर परख रहा था कि यह आदमी गुरु बनाने लायक है भी या नहीं। अरे, बाजार में चार आने की हंडिया लेने जाते हैं तो उसे भी ठोक-बजाकर देखा जाता है कि काम की है या नहीं। और जब गुरु बनाना है तो यह साधारण काम नहीं है, जीवन भर की बात है। इसने मेरी केवल परख भर की है। ___ यह कसौटी है। संत की कसौटी समता की कसौटी, शांति की कसौटी, सकारात्मकता की कसौटी। जो कसौटी में ख़रा उतरा, वही ख़रा । बाकी सब सान्त्वना पुरस्कार भर है। __चिंतामुक्त जीवन जीने के लिए दूसरी बात है - प्रकृति और परमात्मा की व्यवस्थाओं में विश्वास रखिये। व्यक्ति के किए ही सब कुछ नहीं होता। प्रकृति भी कुछ व्यवस्थाएँ करती है और प्रकृति का धर्म है परिवर्तनशीलता। यहाँ ऋतुएँ बदलती हैं, मौसम बदलते हैं, दिन-रात बदलते हैं, हानि-लाभ बदलते हैं। संयोग-वियोग बदलते हैं, जनम-मरण बदलते हैं। दुनिया में कुछ भी ऐसा नहीं है जो नहीं बदलता। कलकत्ता में एक प्रसिद्ध मंदिर है। वह मंदिर कलकत्ता के दर्शनीय स्थलों में से एक है। उसका निर्माता एक अरबपति व्यक्ति था। उसमें सभी चीजें आयातित वस्तुओं से निर्मित हैं। उसके बारे में कहा जाता है कि जब वह न्यायालय में किसी मुकदमे के सिलसिले में जाता तो वकीलों को फीस के बतौर हीरे देता था और कहता अपनी फीस लेकर बाकी बचे हीरे उसके घर पहुंचा देना। आज उसकी पाँचवीं-छठी पीढ़ी के लोग उस मंदिर के फोटो बेचकर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। यह सब परिवर्तनशीलता का परिणाम है। मैंने यह भी देखा है कि जो व्यक्ति प्रतिमाह बमुश्किल पाँच सौ रुपये कमाता था वह आज देश का महान् उद्योगपति है । वह उद्योगपति धीरूभाई अंबानी के नाम से जाना जाता है। जी.डी. बिरला अल्पशिक्षित थे, लेकिन देश के सर्वोच्च उद्योगपति बन गए। जो कल ग़रीब था आज अमीर हो जाता है। प्रकृति सबको LIFE Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003860
Book TitleLife ho to Aisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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